Amavasya kab hai? || Image- IBC24 News Archive
Amavasya kab hai?: नई दिल्ली: हिंदू धर्म परम्परा में अमावस्या के दिन आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्व है। विशेषकर पौष माह में पड़ने वाले अमावस्या का और भी अधिक। पौष अमावस्या पूर्वजों को समर्पित होती है और इस दिन पवित्र स्नान, दान, प्रार्थना और मंत्रोच्चार जैसे कार्यों को विशेष पुण्यकारी माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और जब उनका श्रद्धापूर्वक आदर किया जाता है, तो वे अपने परिवार को शांति, समृद्धि और सुख का आशीर्वाद देते हैं। यही कारण है कि पौष अमावस्या से जुड़े शुभ योग और मुहूर्त विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
Amavasya kab hai?: हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष अमावस्या शुक्रवार, 19 दिसंबर 2025 को पड़ेगी। अमावस्या तिथि 19 दिसंबर 2025 को सुबह 4:59 बजे शुरू होगी और 20 दिसंबर 2025 को सुबह 7:12 बजे समाप्त होगी। उदय तिथि के नियम के अनुसार, तर्पण, पूर्वजों की पूजा, स्नान और दान जैसे सभी अनुष्ठान 19 दिसंबर 2025 को ही किए जाने चाहिए।
पौष अमावस्या के इस दिन कई शुभ ग्रह स्थितियाँ बन रही हैं, जो इसे आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष रूप से अनुकूल बनाती हैं। अमावस्या श्राद्ध और पूर्वजों की पूजा-अर्चना के लिए आदर्श मानी जाती है। ज्योतिषीय दृष्टि से, सूर्य और चंद्रमा का एक ही राशि में होना अमावस्या का आधार है, जो आत्म-शुद्धि, आत्मचिंतन और पूर्वजों के प्रति श्रद्धा का समय है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक किए गए अनुष्ठान पूर्वजों को प्रसन्न करते हैं, जो बदले में अपनी संतानों पर आशीर्वाद बरसाते हैं। पौष अमावस्या का शुक्रवार को मनाया जाना इसके महत्व को और भी बढ़ा देता है, क्योंकि यह दिन देवी लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है। शुक्रवार को किए गए दान और निस्वार्थ सेवा के कार्य परंपरागत रूप से आर्थिक स्थिरता, सद्भाव और समृद्धि से जुड़े होते हैं।
Amavasya kab hai?: पौष अमावस्या के शुभ मुहूर्तों पर एक नजर डालें, जिससे धार्मिक अनुष्ठान अधिक फलदायी होंगे:
पौष अमावस्या अपनी जड़ों का सम्मान करने और भक्ति, दान और चिंतन के माध्यम से संतुलन प्राप्त करने का एक अवसर प्रदान करती है।