Chaitra Navratri Ghatasthapana Muhurat/ Image Credit: Pinterest
नई दिल्ली। Chaitra Navratri Ghatasthapana Muhurat : हिंदू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही खास माना जाता है। नवरात्रि का व्रत साल में चार बार रखा जाता है, जिसमें से दो बार प्रत्यक्ष और दो बार गुप्त नवरात्रि आती हैं। शारदीय और चैत्र नवरात्रि को छोड़कर दो गुप्त नवरात्रि भी होती हैं। वहीं चैत्र नवरात्रि चैत्र महीने में पड़ती है। इसकी शुरुआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है और नवमी तिथि पर समापन होता है। वहीं इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च से शुरू हो रही है। इस दिन मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है। जिसमें नवरात्रि की नवमी तिथि 7 अप्रैल 2025 को है।
वहीं बता दें कि, 14 मार्च से खरमास की शुरुआत हो चुकी है जो आने वाले 13 अप्रैल को खत्म होगा। इस दौरान शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लग जाता है। वहीं इस बार चैत्र नवरात्र में खरमास की अशुभ छाया रहने वाली है। सभी धार्मिक कार्य किए जा सकते हैं, जैसे- पूजा पाठ, जप-तप और ईश्वर का स्मरण आदि। तो चलिए जानते हैं।घटस्थापना का शुभ मुहूर्त क्या होगा।
इस साल चैत्र नवरात्रि के दिन कलश स्थापना के लिए 2 शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहे हैं। एक मुहूर्त सुबह में और दूसरा मुहूर्त दोपहर में है। सुबह में कलश स्थापना का मुहूर्त 6 बजकर 13 मिनट से सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक है। दोपहर में घटस्थापना का शुभ समय 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक है।
घटस्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त पर ही करना चाहिए। इसलिए मुहूर्त का खास ध्यान रखें।
उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में ही हमेश कलश की स्थापना करें।
जहां घटस्थापना करनी हो उस जगह की अच्छे से साफ-सफाई कर लें और फिर गंगाजल छिड़कर उस जगह को पवित्र कर लें।
पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उसपर अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें।
अब इसके बाद कलश में पानी, गंगाजल, सिक्का, रोली, हल्दी गांठ, दुर्वा, सुपारी डालें।
कलश में 5 आम के पत्ते रखकर उसे ढक दें और ऊपर से नारियल रख दें।
इसके बाद एक मिट्टी के बर्तन में साफ मिट्टी रखें और उसमें कुछ जौ के दानें बो दें और ऊपर से पानी का छिड़काव करें। फिर इसे चौकी पर स्थापित कर दें।
फिर दीप जलाकर गणपति बप्पा, माता जी और नवग्रहों का आव्हान करें। फिर विधिवत देवी का पूजन करें।