Chhath Puja Arghya Timing 2025: कब दें संध्या अर्घ्य और उगते सूर्य को अर्घ्य? जानें शुभ मुहूर्त और इसका महत्व

छठ पूजा का शुभ अनुष्ठान शनिवार को नहाय-खाय के शुरू हो गया है। रविवार को खरना पूजन के साथ व्रत की शुरुआत होगी। इसके बाद सोमवार शाम को डूबते सूर्य को और मंगलवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा, जिससे पूजा का समापन होगा।

Chhath Puja Arghya Timing 2025: कब दें संध्या अर्घ्य और उगते सूर्य को अर्घ्य? जानें शुभ मुहूर्त और इसका महत्व

(Chhath Puja Arghya Timing 2025, Image Credit: IBC24 News Customize)

Modified Date: October 26, 2025 / 02:42 pm IST
Published Date: October 26, 2025 2:42 pm IST
HIGHLIGHTS
  • चार दिनी पर्व: नहाय-खाय, खरना, संध्याकालीन अर्घ्य और उषाकालीन अर्घ्य।
  • विशेष योग: पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, सुकर्मा, त्रिपुष्कर और रवियोग का संयोग।
  • समापन: उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ व्रत का अंत।

Chhath Puja Arghya Timing 2025: भगवान सूर्य की उपासना और लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा शनिवार को नहाय-खाय के साथ प्रारंभ हो गया। व्रतियों ने स्नान के बाद अपने घरों में पूजन स्थल को गोबर से लीपकर शुद्ध वातावरण तैयार किया। इसके बाद सूर्य देव का ध्यान करते हुए माता छठी की विधिवत पूजा की गई। मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ियों से अरवा चावल, घी में पकी चना दाल और लौकी की सब्जी का प्रसाद तैयार कर सूर्य देव को भोग लगाया गया, जिसके साथ छठ पूजा की शुरुआत हुई।

खरना से शुरू निर्जला उपवास

रविवार को खरना पूजन के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास (व्रत) का आरंभ हुआ। इस उपवास के दौरान व्रती जल तक ग्रहण नहीं करते। सोमवार की शाम को अस्ताचलगामी (डूबते हुए) सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि मंगलवार की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर चार दिवसीय छठ व्रत का समापन पारण के साथ किया जाएगा।

ज्योतिषीय संयोग और शुभ मुहूर्त

इस बार का छठ विशेष योगों से युक्त है। सोमवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और सुकर्मा योग में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि मंगलवार को त्रिपुष्कर योग और रवियोग के शुभ संयोग में व्रतियों द्वारा उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। यह संयोग छठ पूजा को और अधिक पवित्र और फलदायी बनाता है।

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बिहार में अर्घ्य देने का समय

टाइम एंड डेट वेबसाइट के मुताबिक:

  • पटना: 27 अक्टूबर सूर्यास्त 5:11 PM, 28 अक्टूबर सूर्योदय 5:55 AM
  • गया: सूर्यास्त 5:11 PM और सूर्योदय 5:55 AM
  • भागलपुर: सूर्यास्त 5:04 PM और सूर्योदय 5:47 AM
  • पूर्णिया: सूर्यास्त 5:02 PM और सूर्योदय 5:46 AM
  • सुपौल: सूर्यास्त 5:06 PM और सूर्योदय5:51 AM
  • चंपारण: सूर्यास्त 5:12 PM और सूर्योदय 5:59 AM
  • मुजफ्फरपुर: सूर्यास्त 5:10 PM और सूर्योदय 5:54 AM
  • अररिया: सूर्यास्त 5:01 PM और सूर्योदय 5:46 AM
  • सारण: सूर्यास्त 5:08 PM और सूर्योदय 5:49 AM
  • दरभंगा: सूर्यास्त 5:08 PM और सूर्योदय 5:52 AM

सूर्यास्त के बाद ही खरना का प्रसाद ग्रहण किया जाएगा और अगले दिन संध्याकालीन अर्घ्य दिया जाएगा।

सूर्य देव को क्यों दिया जाता है अर्घ्य?

स्कंद पुराण के मुताबिक, जो व्यक्ति पंचमी तिथि को एक बार भोजन कर षष्ठी को व्रत करता है और सप्तमी को सूर्य देव को विविध अर्पण करता है, वह सुख, समृद्धि और संतान सुख प्राप्त करता है। छठ व्रत करने वाला व्यक्ति जीवन में हर क्षेत्र में सफलता और सम्मान प्राप्त करता है।

सूर्य देव अर्घ्य मंत्र

‘एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां देवा गृहाणार्घ्यं दिवाकरः॥’

धार्मिक महत्व

छठ व्रत की परंपरा ऋग्वैदिक काल से चली आ रही है। व्रती महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु के लिए सूर्य देव और छठी मैया से प्रार्थना करती हैं। यह व्रत न केवल सूर्य उपासना का प्रतीक है, बल्कि शुद्धता, संयम और श्रद्धा का भी संदेश देता है।

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लेखक के बारे में

मैं 2018 से पत्रकारिता में सक्रिय हूँ। हिंदी साहित्य में मास्टर डिग्री के साथ, मैंने सरकारी विभागों में काम करने का भी अनुभव प्राप्त किया है, जिसमें एक साल के लिए कमिश्नर कार्यालय में कार्य शामिल है। पिछले 7 वर्षों से मैं लगातार एंटरटेनमेंट, टेक्नोलॉजी, बिजनेस और करियर बीट में लेखन और रिपोर्टिंग कर रहा हूँ।