Home » Religion » Chhath Puja Kharna 2025: Did you know? Avoiding these 5 things during Kharna will increase your devotion
Chhath Puja Kharna 2025: क्या आप जानते हैं? खरना के दौरान ये 5 चीजें न करना ही आपकी भक्ति बढ़ाएगी
छठ महापर्व का दूसरा दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस दिन खरना का आयोजन होता है, जिसमें कई विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होता है। गलतियां करने से पुण्य कम हो सकता है। इसलिए भोजन, पूजा और व्रत के दौरान सावधानी और अनुशासन बनाए रखना चाहिए।
Publish Date - October 25, 2025 / 04:14 PM IST,
Updated On - October 25, 2025 / 04:14 PM IST
(Chhath Puja Kharna 2025, Image Credit: Meta AI)
HIGHLIGHTS
छठ पूजा 25 अक्टूबर से शुरू – चार दिवसीय व्रत का आरंभ।
पहला दिन: नहाय-खाय – व्रती स्नान कर शुद्ध भोजन करती हैं।
दूसरा दिन: खरना – पूरे दिन उपवास और सूर्यास्त के बाद प्रसाद अर्पित।
Chhath Puja Kharna 2025:छठ पूजा एक ऐसा महापर्व है जिसमें सूर्य देव और छठी मैया की विधिपूर्वक उपासना की जाती है। यह व्रत चार दिनों तक चलता है और इसमें पवित्रता, संयम और श्रद्धा का विशेष महत्व होता है। व्रत करने वाली महिलाएं इस दौरान सख्त नियमों का पालन करती हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि व्रत के दौरान कोई गलती हो जाए, तो पूजा का पूरा फल नहीं मिलता।
व्रत की शुरुआत
आज, 25 अक्टूबर से छठ पूजा की शुरुआत हुई है। पहले दिन यानी नहाय-खाय के दिन व्रती महिलाएं स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं और शुद्ध भोजन करती हैं। इस दिन से ही चार दिवसीय व्रत की शुरुआत होती है। बीते दिनों से देश के विभिन्न हिस्सों में छठ की तैयारी जोरों से चल रही थी। यह पर्व मूलतः बिहार में अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी इसकी भव्यता देखी जा सकती है।
व्रत का दूसरा और महत्वपूर्ण दिन
छठ व्रत का दूसरा दिन, जिसे खरना कहा जाता है, खास महत्व रखता है। इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रहती हैं और सूर्यास्त के बाद देवी-देवताओं को भोग अर्पित करके व्रत खोला जाता है। इसके बाद छठी मैया को प्रसाद चढ़ाया जाता है।
खरना में किन बातों का रखें ध्यान
खरना के दिन कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां हैं, जिन्हें भूलकर भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए:
साफ-सफाई का विशेष ध्यान: पूजा में इस्तेमाल होने वाली सभी वस्तुएं हमेशा साफ हाथों से ही छुएं।
प्रसाद की शुद्धता: खरना का सामान किसी भी गंदे हाथ से नहीं छूना चाहिए। यदि ऐसा हो जाए तो उसे उपयोग में न लाएं।
भोजन स्थल की स्वच्छता: प्रसाद बनाने और चढ़ाने के स्थान को पूरी तरह से साफ रखना आवश्यक है।
भोजन का क्रम: सूर्यदेव और छठी मैया को प्रसाद अर्पित करने के बाद ही व्रती और परिवार के सदस्य भोजन करें।
सेंधा नमक का प्रयोग: प्रसाद बनाने में केवल सेंधा नमक का प्रयोग करें। अन्य किसी प्रकार के नमक का उपयोग न करें।
खरना का विशेष प्रसाद
खरना वाले दिन मुख्यत: गुड़ की खीर और रोटी प्रसाद के रूप में बनाई जाती है। इसे हमेशा मिट्टी के नए चूल्हे पर ही बनाना चाहिए। इसके लिए आम की लकड़ियों का ही प्रयोग किया जाता है। किसी भी अन्य प्रकार की लकड़ी का इस्तेमाल उचित नहीं माना जाता।
छठ पूजा चार दिनों तक चलती है: नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और सुबह अर्घ्य।
खरना का दिन क्यों महत्वपूर्ण होता है?
खरना व्रत का दूसरा दिन है, जब पूरे दिन उपवास रहता है और सूर्यास्त के बाद भोग अर्पित कर व्रत खोला जाता है। यह दिन व्रती और परिवार के लिए बहुत पवित्र माना जाता है।
खरना के दिन कौन-कौन सी सावधानियां जरूरी हैं?
साफ-सफाई बनाए रखना, प्रसाद को गंदे हाथ से न छूना, भोजन स्थल स्वच्छ रखना, प्रसाद अर्पित करने के बाद ही भोजन करना और केवल सेंधा नमक का प्रयोग करना जरूरी है।
खरना में किस प्रकार का प्रसाद बनता है?
खरना वाले दिन मुख्य रूप से गुड़ की खीर और रोटी बनाई जाती है। इसे मिट्टी के नए चूल्हे और आम की लकड़ियों पर बनाया जाता है।