धर्म। प्रथम पूज्य गणपति से जुड़ी कई मान्यताएं पुराणों में मिलती है। इनमें से एक है गणपति और तुलसी की कहानी। देश में 10 दिनों तक गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। आज गणेश चतुर्थी का दूसरा दिन है। इस दौरान भगवान की कथाएं सुनने और सच्चे मन से आराधना करने से बप्पा हर मनोकमना पूरी करते हैं।
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विघ्नहर्ता गणेश हिंदू धर्म में 5 सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले भगवानों में गणेश जी भी हैं। पढ़ाई, ज्ञान, धन लाभ और अच्छी सेहत के लिए भी गणेश जी की पूजा की जाती है। शिव महापुराण के मुताबिक, गणेश जी का शरीर लाल और हरे रंग का होता है।
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वहीं बप्पा की एक पौराणिक कथा है। रिद्धी सिद्धी से विवाह से पहले गणपति को माता तुलसी ने उन्हें श्राप दिया था। कथा के अनुसार एक दिन तुलसी देवी गंगा घाट के किनारे से गुजर रही थीं। उस समय गणेश जी वहां पर ध्यान कर रहे थे। तभी गणेश जी को देखते ही तुलसी देवी उनकी ओर आकर्षित हो गईं और गणेश जी को विवाह का प्रस्ताव दे दिया।
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गणेश जी ने इस प्रस्ताव से मना कर दिया था। न सुनने पर तुलसी देवी बेहद क्रोधित हो गईं, जिसके बाद तुलसीदेवी ने गणेश जी को श्राप दिया कि उनके दो विवाह होंगे। वहीं आगे चलकर ऐसा ही हुआ। दूसरी ओर श्राप से भगवान भी क्रोधित हो गए और तुलसी को शाप दे दिया कि उनका विवाह एक असुर से होगा।
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ये शाप सुनते ही तुलसी गणेश भगवान से माफी मांगने लगीं। तब गणपति ने कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण राक्षस से होगा लेकिन इसके बाद तुम पौधे का रूप धारण कर लोगी। गणेश भगवान ने कहा कि तुलसी कलयुग में जीवन और मोक्ष देने वाली होगी लेकिन मेरी पूजा में तुम्हारा प्रयोग नहीं होगा। इसलिए गणेश भगवान को तुलसी चढ़ाना शुभ नहीं माना जाता है।
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