Holika Dahan 2022 Date & Muhurat
नई दिल्ली, 17 मार्च 2022। Holika Dahan 2022 Shubh Muhurat: खुशियों, उमंग और उल्लास का त्योहार होली आ गई है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है, शास्त्रों में फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व काफी ज्यादा होता है, माना जाता है कि होलिका की अग्नि की पूजा करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं, इस साल होलिका दहन का त्योहार 17 मार्च 2022 को मनाया जाएगा।
होलिका दहन 17 बृहस्पतिवार, मार्च 17, 2022 को किया जाएगा। इस साल होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात में 9 बजकर 16 मिनट से लेकर 10 बजकर 16 मिनट तक ही रहेगा। ऐसे में होलिका दहन की पूजा के लिए आपको सिर्फ 1 घंटे 10 मिनट का ही समय मिलेगा। इसके अगले दिन शुक्रवार, 18 मार्च 2022 को रंगवाली होली खेली जाएगी।
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 17, 2022 को 01 बजकर 29 मिनट से शुरू होगी
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 18, 2022 को 12 बजकर 47 तक रहेगी
भद्रा पूँछ- रात में 09 बजकर 06 से लेकर 10 बजकर 16 तक
भद्रा मुख – 17 मार्च रात 10 बजकर 16 से लेकर 18 मार्च 12 बजकर 13 तक
होलिका दहन को लेकर लोगों को कंफ्यूजन है कि होलिका दहन 17 मार्च को किया जाना चाहिए या फिर 18 मार्च को। हालांकि, ज्योतिषियों के अनुसार, होलिका दहन का आयोजन 17 मार्च को ही किया जाना चाहिए।
भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिए काफी अच्छी मानी जाती है। प्रदोष काल के समय जब पूर्णिमा तिथि विद्यमान हो, उसी दिन होलिका दहन किया जाना चाहिए। अगर भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के बाद जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिए। यदि भद्रा मध्य रात्रि तक हो तो ऐसी स्थिति में भद्रा पूँछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि भद्रा मुख में होलिका दहन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
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पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, हिरण्यकशिपु का ज्येष्ठ पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था, पिता के लाख कहने के बावजूद प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करता रहा। दैत्य पुत्र होने के बावजूद नारद मुनि की शिक्षा के परिणामस्वरूप प्रह्लाद महान नारायण भक्त बना। असुराधिपति हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने की भी कई बार कोशिश की परन्तु भगवान नारायण स्वयं उसकी रक्षा करते रहे और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ। असुर राजा की बहन होलिका को भगवान शंकर से ऐसी चादर मिली थी जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी, होलिका उस चादर को ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई। दैवयोग से वह चादर उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गई, जिससे प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका जल गई, इस प्रकार हिन्दुओं के कई अन्य पर्वों की भाँति होलिका-दहन भी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।
इस साल होली का त्योहार काफी खास होने वाला है, होली पर इस साल कई शुभ योग बनने जा रहे हैं। इस साल होली पर वृद्धि योग, अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और ध्रुव योग बनने जा रहा है। इसके अलावा, बुध-गुरु आदित्य योग भी बन रहा है। बुध-गुरु आदित्य योग में होली की पूजा करने से घर में सुख और शांति का वास होता है।
एक कटोरी पानी, गाय के गोबर से बनी माला, रोली, अक्षत, अगरबत्ती और धूप, फूल, कच्चा सूती धागा, हल्दी का टुकड़ा, मूंग की साबुत दाल,बताशा, गुलाल पाउडर, नारियल, नया अनाज (गेहूं)।
सभी सामग्रियों को एक प्लेट में रख लें। इसके बाद जिस जगह पर होलिका की पूजा करनी है उस स्थान को साफ कर लें, पूजा करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें। फिर गाय के गोबर से होलिका और प्रह्लाद की मूर्ति बनाएं, इसके बाद होलिका पूजन में प्लेट में रखी सभी चीजों को अर्पित करें, इसमें मिठाइयां और फल भी अर्पित करें, इसके बाद भगवान नरसिंह की पूजा करें। अंत में होलिका की 7 बार परिक्रमा करें।