Jitiya Vrat 2025 : जितिया व्रत में मछली खा कर व्रत शुरू करना क्यों माना जाता है शुभ? जान लीजिये शाकाहारी महिलाएं किस प्रकार करें ये व्रत?

Why is it considered auspicious to start the fast by eating fish in Jitiya fast? Know how vegetarian women should do this fast?

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  • Publish Date - September 12, 2025 / 07:47 PM IST,
    Updated On - September 12, 2025 / 07:47 PM IST

Jitiya Vrat 2025

Jitiya Vrat 2025 : जितिया एक व्रत है जिसमें निर्जला उपवास पूरे दिन किया जाता है और माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र,कल्याण के लिए मनाया जाता है। हिंदू विक्रम संवत के अनुसार अश्विन माह में कृष्ण पक्ष के सातवें से नौवें चंद्र दिवस तक तीन दिन तक चलने वाला त्योहार मनाया जाता है। 13 सितंबर को जितिया व्रत का नहाय खाय होगा, इस दिन मछली खाने के बाद ही व्रत की शुरुआत की जाती है जितिया व्रत 14 सितंबर 2025 को है, ये व्रत नहाय खाय से शुरू होता है और तीसरे दिन इसका पारण होता है। जिवितपुत्रिका के पहले दिन को नहाय-खाय के नाम से जाना जाता है। उस दिन माताएं स्नान करने के बाद ही भोजन ग्रहण करती हैं। जीवित्पुत्रिका का कठिन व्रत माताएं अपनी संतान की खुशहाली, लंबी आयु और उसके उज्जवल भविष्य के लिए करती हैं। आखिर क्यों जितिया व्रत से पहले मछली खाने की परंपरा है चलिए आपको बताते हैं

Jitiya Vrat 2025

हिंदू धर्म में सभी व्रत त्योहार में तामिसक भोजन करने की मनाही होती है लेकिन जितिया व्रत से एक दिन पहले महिलाएं मछली का सेवन करती हैं आखिर क्या है इसकी वजह..?

जितिया व्रत से पहले क्यों खाते हैं मछली ?
जितिया व्रत से पहले अनेक विधान होते हैंहै। जिस प्रकार अन्य व्रतों में अभक्ष्य पदार्थों (तामसिक भोजन) का त्याग किया जाता है, जैसे लहसुन, प्याज, मांसाहार, साग इत्यादि, लेकिन जितिया व्रत में खासकर मछली खाने की परंपरा है। दरअसल कई समुदायों में मछली को शुभ, समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक माना गया है।

Jitiya Vrat 2025

जितिया व्रत चूंकि कठिन होता है इसलिए मान्यता है कि जितिया व्रत के एक दिन पहले माछ-भात (मछली-भात) खाने की परंपरा है, जिसका महत्व व्रत के लिए शक्ति और ऊर्जा प्राप्त करना, प्रजनन क्षमता व समृद्धि का प्रतीक होना और पुरानी परंपराओं का पालन करना है। इस भोजन से शरीर को ऊर्जा मिलती है जो निर्जला व्रत रखने के लिए ज़रूरी है। मछली समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक मानी जाती है, और यह भी माना जाता है कि माछ-भात खाने से ही व्रत को पूर्ण फल मिलता है।
जितिया व्रत से जुड़ी कई सांस्कृतिक परंपराएं हैं, और माछ-भात खाने की परंपरा उन सदियों पुरानी मान्यताओं और धार्मिक परंपराओं का सम्मान करती है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर व्रत से पहले माछ-भात नहीं खाया गया तो व्रत पूर्ण फल नहीं देता। यह भोजन व्रत की सफलता के लिए आवश्यक माना जाता है।

शाकाहारी व्रती मछली की जगह क्या खाती है ?
जो महिलाएं शाकाहारी हैं और मछली नहीं खातीं, वे मछली के स्थान पर नोनी के साग का सेवन करती हैं, क्योंकि इसे मछली के समान ही पौष्टिक और शुभ माना जाता है। यह शाकाहारी लोगों के लिए ऊर्जा और शक्ति का एक अच्छा स्रोत है।

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