Kartik Purnima Mela 2025: श्रीकृष्ण पांडवों को गढ़मुक्तेश्वर क्यों ले गए? जान लें महाभारत के बाद की अनसुनी गाथा और कार्तिक मेले का सच”

5 नवंबर 2025 कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगने वाला गढ़मुक्तेश्वर मेला, केवल उत्सव ही नहीं बल्कि महाभारत की उस कथा का जीवंत प्रमाण है जो कि आस्था और संस्कृति का अद्भुत संगम है।

Kartik Purnima Mela 2025: श्रीकृष्ण पांडवों को गढ़मुक्तेश्वर क्यों ले गए? जान लें महाभारत के बाद की अनसुनी गाथा और कार्तिक मेले का सच”

Kartik Purnima Mela 2025

Modified Date: November 6, 2025 / 01:16 pm IST
Published Date: November 5, 2025 7:43 pm IST
HIGHLIGHTS
  • “श्रीकृष्ण पांडवों को गढ़मुक्तेश्वर क्यों ले गए? जानें रहस्य!”
  • “कार्तिक पूर्णिमा: जब गंगा में डूबा महाभारत का पाप।”

Kartik Purnima Mela 2025: हर साल कार्तिक पूर्णिमा (अक्टूबर-नवंबर में) लगने वाला गढ़मुक्तेश्वर मेला (कार्तिक पूर्णिमा मेला) उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में गंगा नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन तीर्थस्थल है। वर्ष 2025 में, 5 नवंबर बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है हिंदू धर्म में यह मेला अत्यंत पवित्र माना जाता है और इस दिन गंगा स्नान का बहुत महत्त्व होता है और इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति जाने अनजाने किए हुए पापों से मुक्त हो जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन कशी का गंगा घाट दीपों से जगमगा उठता है।

Kartik Purnima Mela 2025: कार्तिक पूर्णिमा का “गढ़मुक्तेश्वर” मेला

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में स्थित, गंगा नदी के तट पर एक प्राचीन तीर्थस्थल है “गढ़मुक्तेश्वर”। हिन्दू धर्म में यह मेला महाभारत के युद्ध से जुड़े होने की वजह से बहुत महत्त्व रखता है। इस मेले की तैयारियाँ कई महीनों पहले से ही शुरू हो जाती है और बहुत ही बड़े पैमाने पर इस मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला 3-5 दिनों तक चलता है, जिसमें स्नान, पूजा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह मेला पितृ मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक है।
मान्यताओं के अनुसार यह मेला केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं बल्कि महाभारत काल से जुडी एक अनसुनी गाथा है, जो कि महाभारत युद्ध के पश्चात् पांडवों पर टूटे दुखों के पहाड़ तथा आध्यात्मिक शांति की कथा बयान करती हैं।

Kartik Purnima Mela 2025: जब पांडवों पर टूटा दुखों का पहाड़

महाभारत का कुरुक्षेत्र युद्ध 18 दिनों तक चला। इसमें पांडवों ने विजय प्राप्त की, परन्तु इस महायुद्ध में लाखों योद्धाओं की मृत्यु हुई, जिसमें पांडवों के पुत्र, भाई-बंधु, गुरु और मित्र शामिल थे। पांडवों की विजय के बाद भी इस अपूरणीय क्षति ने उन्हें तोड़ की रख दिया, अभी कुरुक्षेत्र की रक्तधारा सूखी भी नहीं थी कि पांडव शोक की गहराई में डूब गए और इस तरह डूबे कि राज्य सँभालने की उनकी इच्छा भी ख़त्म हो गयी।

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तत्पश्चात इस दुःख के सागर में पांडवों को डूबता देख श्री कृष्ण को ज्ञात हुआ कि ये शोक उन्हें पूर्ण रूप से नष्ट कर देगा। तब उन्होंने एक मार्गदर्शक और सखा के रूप में पांडवों को गढ़ गंगा (गढ़मुक्तेश्वर) ले जाने का फैसला किया। यह स्थल महाभारत काल में एक किला (गढ़) था, जहां गंगा का प्रवाह पवित्र माना जाता था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को यहां लाकर मेला की नींव रखी और पांडवों ने यहां श्राद्ध, तर्पण और दीपदान किया। तभी से चली आ रही इस प्रथा के अनुसार उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में स्थित गढ़मुक्तेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा मेले का आयोजन किया जाता है।

Disclaimer:- उपरोक्त लेख में उल्लेखित सभी जानकारियाँ प्रचलित मान्यताओं और धर्म ग्रंथों पर आधारित है। IBC24.in लेख में उल्लेखित किसी भी जानकारी की प्रामाणिकता का दावा नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना पँहुचाना है।

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लेखक के बारे में

Swati Shah, Since 2023, I have been working as an Executive Assistant at IBC24, No.1 News Channel in Madhya Pradesh & Chhattisgarh. I completed my B.Com in 2008 from Pandit Ravishankar Shukla University, Raipur (C.G). While working as an Executive Assistant, I enjoy posting videos in the digital department.