Karwa Chauth 2025: 9 या 10 अक्टूबर? करवा चौथ की सही तारीख क्या है और छलनी से पति को क्यों देखती हैं पत्नियां?
करवा चौथ का व्रत सुहागिनों द्वारा हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और शिव परिवार की आराधना करती हैं। चंद्रमा के उदय के बाद उसे अर्घ्य देकर छलनी से पति का चेहरा देखती हैं जिससे पति की आयु बढ़ने की मान्यता है।
(Karwa Chauth 2025, Image Credit: IBC24 News Customize)
- इस साल करवा चौथ 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
- चंद्रमा का अर्घ्य समय: रात 7:58 बजे के बाद।
- सुहागिनें निर्जला व्रत रखकर करती हैं शिव-पार्वती की पूजा।
Karwa Chauth 2025: प्रतिवर्ष कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिनों द्वारा करवा चौथ का व्रत रखने की पुरानी परंपरा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखेंगी और शिव परिवार की पूजा करेंगी। पंडितों के अनुसार चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात से शुरू होकर 10 अक्टूबर की रात तक रहेगी और चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। छलनी से चंद्रमा और पति को देखना शुभ माना जाता है।
करवा चौथ व्रत पर्व का विधान
करवा चौथ व्रत में सुहागिनें सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करती हैं। उसके बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को शृंगार कर प्रथमेश, चौथ माता, करवा माता का पूजन करती है। रात में चंद्रमा के उदित होने पर चलनी की ओट से उनका दर्शन कर अर्घ्य देती हैं। पति के हाथों जल ग्रहण करतीं हैं।
करवा चौथ कब है?
पंडित एमएन पांडेय के अनुसार इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 10अक्टूबर को रखा जाएगा। चतुर्थी तिथि का आगमन 9 अक्टूबर गुरुवार की रात 2.49 बजे हो रहा है जो 10 अक्टूबर शुक्रवार की रात 12.24 बजे तक रहेगा। इस व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है। 10 अक्टूबर की रात 7.58 बजे के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा। महिलाएं इस दिन कठिन व्रत का पालन करती हैं और विधिवत पूजा-अर्चना कर पति की लंबी आयु, सौभाग्य व सलामती की कामना करती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से घर में समृद्धि आती है।
चलनी से पति को क्यों देखती हैं पत्नी
करवा चौथ व्रत के अंत में महिलाएं चन्द्रमा और अपने पति का प्रत्यक्ष दर्शन न कर चलनी से दर्शन करती हैं। माना जाता है कि चलनी में हजारों छेद होते हैं, जिससे चन्द्रमा के दर्शन करने से छेदों की संख्या जितनी प्रतिबिंब दिखते हैं। तो पति की आयु भी उतनी गुना बढ़ जाती है। चलनी के प्रयोग बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, पहली बार माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए यह व्रत रखा था। द्रौपदी ने पांडवों के लिए करवा चौथ का व्रत किया था। माता सीता ने भी भगवान श्रीराम के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। व्रत के प्रभाव से सुहागिनें अखंड सौभाग्य प्राप्त करती हैं।
चांद देख कर व्रत खोलने की परंपरा
करवा चौथ के दिन माता पार्वती की पूजा आराधना कर महिलाएं अखण्ड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन शिव, भगवान गणेश और कार्तिकेय की भी पूजा होती है।
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