Kuldevi Ki Puja kaise kare: कुलदेवी-देवता के नाराज होने से जीवन में आती है परेशानी, घेर लेती है आर्थिक तंगी, जानिए कब और कैसे करनी चाहिए पूजा?

कुलदेवी-देवता के नाराज होने से जीवन में आती है परेशानी, Kuldevi Ki Puja kaise kare: Problems come in life due to displeasure of Kuldevi-Devta

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  • Publish Date - September 4, 2025 / 08:39 PM IST,
    Updated On - September 4, 2025 / 08:39 PM IST

Kuldevi Ki Puja kaise kare. Image Source- IBC24 Archive

HIGHLIGHTS
  • परिवार के रक्षक माने जाते हैं कुलदेवी-देवता
  • पूजा नहीं होने से हो जाते हैं नाराज
  • घर में हर दिन परंपरा अनुसार की जानी चाहिए पूजा

Kuldevi Ki Puja kaise kare: कुलदेवी-देवता आमतौर पर कुल के रक्षक माने जाते हैं। विशेष कार्य करने से पहले और खास अवसरों पर इनकी पूजा करने का रिवाज़ है। खासतौर पर जब शादी, जन्म, नामकरण आदि अनुष्ठानों हो। कहते हैं कुल देवी-देवता की पूजा से परिवार को सुख, समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही नकारात्मक शक्तियां और दुर्भाग्य दूर हो जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार कुल देवी-देवताओं को पूजा न जाए तो ये नाराज हो जाते हैं, जिससे जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।चलिए जानते हैं कुल देवी-देवताओं का कैसे पता लगाएंः-

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अपने कुल देवी-देवताओं का कैसे पता लगाएंः- 

  1. बुजुर्गों से जानकारी लें: Kuldevi Ki Puja kaise kare: अपने माता-पिता, दादा-दादी या अन्य बड़े-बुजुर्गों से पूछें कि आपके परिवार में कौन सी देवी या देवता की पूजा होती है।

  2. पैतृक स्थान पर जाएं: गांव या मूल निवास स्थान पर जाकर उन मंदिरों का भ्रमण करें, जहां आपके पूर्वज पूजा किया करते थे। वहां के पुजारी या ग्रामीण इस बारे में जानकारी दे सकते हैं।

  3. कुंडली या पंडित की सहायता लें: किसी जानकार ज्योतिषी या पुरोहित से अपनी कुंडली के माध्यम से कुलदेवता के बारे में पता लगाया जा सकता है।

  4. गोत्र आधारित जानकारी: कई बार गोत्र विशेष के अपने देवता होते हैं। उदाहरण के लिए कश्यप गोत्र में भगवान विष्णु या देवी दुर्गा को कुलदेवी-देवता माना जाता है।

  5. विशेष अनुष्ठान: कुछ ज्योतिष पद्धतियों में विशेष अनुष्ठानों द्वारा भी कुलदेवता की जानकारी प्राप्त करने का दावा किया जाता है।

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कुल देवी-देवताओं की पूजा कब-कब की जाती है?

  • रोजाना या साप्ताहिक पूजा: कुछ परिवार रोज सुबह-शाम या सप्ताह के किसी विशेष दिन कुल देवी-देवता की पूजा करते हैं।
  • अमावस्या, पूर्णिमा, या विशेष तिथियाँ: कुछ लोग विशेष चंद्र तिथियों जैसे अमावस्या, पूर्णिमा या मासिक संक्रांति पर पूजा करते हैं।
  • विवाह से पहले और बाद में: शादी के समय कुल देवी-देवता का आशीर्वाद लेना आवश्यक माना जाता है।
  • संतान जन्म और संस्कारों में: बच्चे के जन्म, नामकरण, अन्नप्राशन, मुंडन आदि पर कुल देवी-देवता की पूजा की जाती है।
  • नवरात्रि में विशेष पूजा: कई परिवार नवरात्रि के पहले या अंतिम दिन कुल देवी की विशेष पूजा करते हैं।
  • प्रमुख त्योहारों पर स्मरण: दीपावली, दशहरा, होली जैसे बड़े पर्वों पर कुल देवी-देवताओं को याद किया जाता है।
  • कुल से जुड़ी तिथियाँ या मेले: कुछ कुलों के विशेष दिन या कुल-स्थल पर लगने वाले मेले में पूजा होती है।
  • कठिनाई या संकट के समय: बीमारी, परेशानी या संकट के समय कुल देवी-देवता का स्मरण कर पूजा की जाती है।
  • नए कार्य की शुरुआत में: व्यापार, घर-निर्माण, या नए काम की शुरुआत से पहले कुल देवता का आशीर्वाद लिया जाता है।
  • वार्षिक सामूहिक कुल पूजा (कुल पूजन): साल में एक बार परिवार या वंश के सभी लोग मिलकर कुल पूजा करते हैं।

 

अस्वीकरणः यह तथ्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित है। IBC24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

कुल देवी-देवता की पूजा कब करनी चाहिए?

पूजा समय परिवार की परंपरा पर निर्भर करता है, जैसे नवरात्रि, विवाह, संतान जन्म या अमावस्या पर।

क्या रोज पूजा करना जरूरी है?

नहीं, यह जरूरी नहीं है। कुछ लोग रोज करते हैं, कुछ केवल विशेष अवसरों पर।

कुल पूजा क्या होती है?

यह साल में एक बार पूरे परिवार द्वारा सामूहिक रूप से की जाने वाली विशेष पूजा होती है।