Maa Baglamukhi Katha : आज माँ बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए संध्या समय पढ़ें ये कथा व आरती, सभी कार्यों में मिलेगी सफलता

Today, to please Maa Baglamukhi, read this story and aarti in the evening, you will get success in all your works

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  • Publish Date - May 5, 2025 / 04:37 PM IST,
    Updated On - May 5, 2025 / 04:37 PM IST

Baglamukhi maa ki katha aur aarti

Maa Baglamukhi Katha : मां बगलामुखी को हिंदू धर्म में एक शक्तिशाली देवी माना जाता है जो दस महाविद्याओं में से आठवीं हैं तथा भगवती पार्वती के उग्र स्वरूप का प्रतिनिधित्व करती हैं। सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी तरंग है वो इन्हीं की वजह से है। ये भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करने वाली देवी हैं। मान्यता है कि उनकी पूजा करने से शत्रुओं को पराजित किया जा सकता है और जीवन की विभिन्न बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं। मां बगलामुखी को वाणी की शक्ति प्रदान करने वाली देवी भी माना जाता है। आईये यहाँ प्रस्तुत हैं देवी बगलामुखी की कथा एवं आरती..

Maa Baglamukhi Katha

माँ बगलामुखी पौराणिक कथा
एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा इससे चारों ओर हाहाकार मच गया। संसार की रक्षा करना असंभव हो गया। यह तूफान सब कुछ नष्ट-भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए।
इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे, तब भगवान शिव ने कहा: शक्ति रूप के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत: आप उनकी शरण में जाएं।

Maa Baglamukhi Katha

तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंच कर कठोर तप किया। भगवान विष्णु के तप से देवी शक्ति प्रकट हुईं। उनकी साधना से महात्रिपुरसुंदरी प्रसन्न हुईं। सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीड़ा करती महापीतांबरा स्वरूप देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ। इस तेज से ब्रह्मांडीय तूफान थम गया।

मंगलयुक्त चतुर्दशी की अर्धरात्रि में देवी शक्ति का देवी बगलामुखी के रूप में प्रादुर्भाव हुआ था। त्रैलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी ने प्रसन्न होकर भगवान विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रुक सका। देवी बगलामुखी को वीर रति भी कहा जाता है क्योंकि देवी स्वयं ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं। इनके शिव को महारुद्र कहा जाता है। इसीलिए देवी सिद्ध विद्या हैं। तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं। गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं।

Maa Baglamukhi Katha

दसमहाविधाओ मे से आठवी महाविधा है देवी बगलामुखी। इनकी उपासना इनके भक्त शत्रु नाश, वाकसिद्ध और वाद विवाद मे विजय के लिए करते है। इनमे सारे ब्राह्मण की शक्ति का समावेश है, इनकी उपासना से भक्त के जीवन की हर बाधा दूर होती है और शत्रुओ का नाश के साथ साथ बुरी शक्तियों का भी नाश करती है। देवी को बगलामुखी, पीताम्बरा, बगला, वल्गामुखी, वगलामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है।

॥ श्री बगलामुखी आरती ॥
जय जय श्री बगलामुखी माता,
आरती करहुँ तुम्हारी ॥ टेक ॥

पीत वसन तन पर तव सोहै,
कुण्डल की छबि न्यारी ॥ जय-जय ॥

कर कमलों में मुदगर धारै,
अस्तुति करहिं सकल नर-नारी ॥ जय-जय ॥

Maa Baglamukhi Katha

चम्पक माल गले लहरावे,
सुर नर मुनि जय जयति उचारी ॥ जय-जय ॥

त्रिविध ताप मिट जात सकल सब,
भक्ति सदा तव है सुखकारी ॥ जय-जय ॥

पालन-हरत सृजत तुम जग को,
सब जीवन की हो रखवारी ॥ जय-जय ॥

मोह निशा में भ्रमत सकल जन,
करहु ह्रदय महँ, तुम उजियारी ॥ जय-जय ॥

Maa Baglamukhi Katha

तिमिर नशावहु ज्ञान बढ़ावहु,
अम्बे तुमहि हो असुरारी ॥ जय-जय ॥

सन्तन को सुख देत सदा ही,
सब जन की तुम प्राण पियारी ॥ जय-जय ॥

तव चरणन जो ध्यान लगावै,
ताको हो सब भव-भयहारी ॥ जय-जय ॥

प्रेम सहित जो करहिं आरती,
ते नर मोक्षधाम अधिकारी ॥ जय-जय ॥

Maa Baglamukhi Katha

॥ दोहा ॥
श्री बगलामुखी की आरती, पढ़े सुनें जो कोय।
विनती कुलपति मिश्र की, सुख सम्पत्ति सब होय ॥

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