Mauni Amavasya 2021: इस बार मौनी अमावस्या पर है ग्रहों का अद्भुत संयोग, जानें मुहूर्त, व्रत नियम और महत्व

Mauni Amavasya 2021: इस बार मौनी अमावस्या पर है ग्रहों का अद्भुत संयोग, जानें मुहूर्त, व्रत नियम और महत्व

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  • Publish Date - February 7, 2021 / 03:30 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:50 PM IST

Mauni Amavasya 2021: धर्मग्रंथों के अनुसार साल की 12 अमावस्या तिथि में से माघ अमावस्या का अपना खास महत्व है। इस दिन संगम और गंगा में देवताओं का वास रहता है जिससे गंगा स्नान करना अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक फलदायी होता है। इस वर्ष मौनी अमावस्या का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि इस दिन हरिद्वार कुंभ में पवित्र डुबकी लगाई जाएगी। इस अवसर पर ग्रहों का संयोग ऐसा बना है जो इस दिन के महत्व को कई गुणा बढ़ा रहा है।

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मौनी अमावस्या के दिन श्रवण नक्षत्र में चंद्रमा और 6 ग्रह मकर राशि में होने से महायोग बना है। इस योग को महोदय योग के नाम से जाना जाता है। महोदय योग में कुंभ की डुबकी और पितरों का पूजन करना बहुत ही शुभ फलदायी माना गया है। मौनी अमावस्या के दिन महोदय योग में तिल का दान और भगवान विष्णु को तिल और दीप अर्पित करना बहुत ही शुभ फलदायी कहा गया है, इससे पाप का क्षय होता है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

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हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहते हैं। इस दिन मनुष्य को मौन रहना चाहिए और गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। इसलिए इस दिन मौन रहकर व्रत करने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है। माघ मास में होने वाले स्नान का सबसे महत्वपूर्ण पर्व अमावस्या ही है। इस दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।

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हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है। माघ अमावस्या के दिन किए जाने वाले धार्मिक कर्म, व्रत और नियम इस प्रकार हैं-
1.  मौनी अमावस्या के दिन प्रातःकाल स्नान नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
2.  इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए। गरीब व भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं।
3.  अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौशाला में गाय के लिए भोजन का दान करें।
4.  यदि आप आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो गौ दान, स्वर्ण दान या भूमि दान भी कर सकते हैं।
5.  हर अमावस्या की भांति माघ अमावस्या पर भी पितरों को याद करना चाहिए। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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माघ अमावस्या पर मौन रहने का विशेष महत्व बताया गया है। वहीं यदि मौन रहना संभव न हो तो अपने मुख से कटु वचन न बोलें। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है और अमावस्या के दिन चंद्र दर्शन नहीं होते हैं। इससे मन की स्थिति कमजोर रहती है। इसलिए इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का विधान बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव दोनों की पूजा का विधान है।

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अमावस्या तिथि प्रारम्भ – फरवरी 11, 2021 को 01:08 ए एम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – फरवरी 12, 2021 को 12:35 ए एम बजे