Mohini Ekadashi 2024: कब है मोहिनी एकादशी?, इस दिन भूल से भी न करें ये काम, जानिए क्या है इसका महत्व और पूजा विधि
Mohini Ekadashi 2024: कब है मोहिनी एकादशी?, इस दिन भूल से भी न करें ये काम, जानिए क्या है इसका महत्व और पूजा विधि
Edited By :
Priya Jagat
Modified Date: May 18, 2024 / 03:03 PM IST,
Published Date : May 18, 2024/3:03 pm IST
Mohini Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में हर एक तीज त्योहारों का विशेष महत्व होता है। जिसे पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है। ठीक वैसे ही एकादशी का बहुत महत्व माना जाता है। एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है और उसे किसी संकट का सामना नहीं करना पड़ता है। इस बार मोहिनी एकादशी 19 मई यानी कल मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी मनाई जाती है। इस व्रत को करने से श्रद्धालुओं को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं।
महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने मोहिनी नामक अप्सरा का रूप लिया था, जिसपर भगवान शिव भी मोहित हो गए थे। हर एकादशी पर श्रीहरि की उपासना की जाती है और माता लक्ष्मी की उपासना भी की जाती है। एकादशी के दिन तुलसी की पूजा भी करनी चाहिए क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को भी प्रिय होती है और तुलसी मां लक्ष्मी का रूप कहलाती है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी पापों का नाश होता है। इस एकादशी का व्रत करने से मोह-माया के बंधन खत्म हो जाते हैं।
पूजा विधि
दशमी तिथि को सूर्यास्त से पहले घर की साफ-सफाई कर लें। एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद कलश स्थापना कर भगवान विष्णु की पूजा करें। उन्हें दीप,धूप,नैवेद्य,और फल अर्पित करें।
माना जाता है कि एकादशी के दिन मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं इसलिए इस दिन तुलसी में जल नहीं चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही एकादशी के दिन तुलसी की पत्तियां को भूल से भी नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसा करना अशुभ होता है। एकादशी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल करने के लिए तुलसी एक दिन ही पहले तोड़कर रख लेनी चाहिए। एकादशी के दिन महिलाओं को तुलसी की पूजा बाल बांधकर ही करनी चाहिए और ना काले कपड़े पहनने चाहिए।
Web Title: Mohini Ekadashi 2024: When is Mohini Ekadashi?, do not do this work even by mistake on this day, know its importance and method of worship.