निर्जला एकादशी महात्म्य: वर्षभर की सभी एकादशी के बराबर मिलता है पुण्य, जानिए पूजा विधि

निर्जला एकादशी महात्म्य: वर्षभर की सभी एकादशी के बराबर मिलता है पुण्य, जानिए पूजा विधि

निर्जला एकादशी महात्म्य: वर्षभर की सभी एकादशी के बराबर मिलता है पुण्य, जानिए पूजा विधि
Modified Date: November 29, 2022 / 07:55 pm IST
Published Date: May 28, 2020 3:32 am IST

धर्म। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है, इस एकादशी को निर्जला एकादशी, भीम एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी को निर्जला व्रत रखते हुए भगवान विष्णु की पूजा, व्रत किया जाता है जो समस्त पाप एवं तापों से मुक्त कर देती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से वर्षभर की एकादशी का पुण्य प्राप्त हो जाता है।

ये भी पढ़ें: गुरुवार को इस प्रकार करें देव आराधना, मिलेगी भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की क…

एकादशी तिथि के महत्व को बताते हुए भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है-”मैं वृक्षों में पीपल एवं तिथियों में एकादशी हूँ”। एकादशी की महिमा के विषय में शास्त्र कहते हैं कि विवेक के समान कोई बंधु नहीं और एकादशी के समान कोई व्रत नहीं। पांच ज्ञानेन्द्रियाँ, पांच कर्म इन्द्रियाँ और एक मन इन ग्यारहों को जो साध ले,वह प्राणी एकादशी के समान पवित्र और दिव्य हो जाता है। 

 ⁠

ये भी पढ़ें: असीरगढ़ के जंगलों में आज भी ज़िंदा भटक रहा अश्वत्थामा ! मंदिर में स…

निर्जला एकादशी के इस महान व्रत को ‘देवव्रत’ भी कहा जाता है क्योंकि सभी देवता, दानव, नाग, यक्ष,गन्धर्व,किन्नर,नवग्रह आदि अपनी रक्षा और जगत के पालनहार श्री हरि की कृपा प्राप्त करने के लिए एकादशी का व्रत करते हैं। सबसे कठिन ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है क्योंकि इसमें निर्जल व्रत करने का विधान है।

ये भी पढ़ें: पहले दिन ही भगवान बालाजी के लड्डू प्रसाद की रिकार्ड बिक्री, लोग कर …

पुराण कथा के अनुसार श्री श्वेतवाराह कल्प के आरंभ में देवर्षि नारद की विष्णु भक्ति देखकर ब्रह्मा जी बहुत प्रसन्न हुए। नारद जी ने आग्रह किया कि हे परमपिता! मुझे कोई ऐसा मार्ग बताएँ जिससे मैं श्री विष्णु के चरणकमलों में स्थान पा सकूं। पुत्र नारद का नारायण प्रेम देखकर ब्रह्मा जी श्री विष्णु की प्रिय निर्जला एकादशी व्रत करने का सुझाव दिया। नारद जी ने प्रसन्नचित्त होकर एक हज़ार वर्ष तक निर्जल रहकर यह कठोर व्रत किया। हज़ार वर्ष तक निर्जल व्रत करने पर उन्हें चारों तरफ नारायण ही नारायण दिखाई देने लगे। परमेश्वर की इस माया से वे भ्रम में पड़ गए कि कहीं यही तो विष्णु लोक नहीं। तभी उनको भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन हुए,उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर नारायण ने उन्हें अपनी निश्छल भक्ति का वरदान देते हुए अपने श्रेष्ठ भक्तों में स्थान दिया और तभी से निर्जल व्रत की शुरुआत हुई।

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन में 1 जून से दर्शनार्थियों के लिए खुलेंगे मंदिर के पट, 52 म…

एकादशी स्वयं विष्णुप्रिया है इसलिए इस दिन निर्जल व्रत,जप-तप,दान-पुण्य करने से प्राणी श्री हरि का सानिध्य प्राप्त कर जीवन-मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार एकादशी में ब्रह्महत्या सहित समस्त पापों का शमन करने की शक्ति होती है। इस दिन मन,कर्म,वचन द्वारा किसी भी प्रकार का पाप कर्म करने से बचने का प्रयास करना चाहिए,साथ ही तामसिक आहार के सेवन से भी दूर रहना चाहिए।

ये भी पढ़ें: अयोध्या में शुरू हुआ राममंदिर का निर्माण, ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृ…

इस दिन पीताम्बरधारी भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें और साथ ही यथाशक्ति श्री विष्णु के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करते रहना चाहिए। इस दिन गोदान, वस्त्रदान, छत्र, जूता, फल आदि का दान करना बहुत ही लाभकारी होता है। इस दिन साधक बिना जल पिए ज़रूरतमंद व्यक्ति या किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को शुद्ध पानी से भरा घड़ा यह मंत्र पढ़कर दान करना चाहिए-

देवदेव हृषिकेश संसारार्णवतारक।
उदकुंभप्रदानेन नय मां परमां गतिम्॥

अर्थात संसार सागर से तारने वाले देवदेव हृषिकेश इस जल के घड़े का दान करने से आप मुझे परम गति प्रदान करें।

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन में 1 जून से दर्शनार्थियों के लिए खुलेंगे मंदिर के पट, 52 म…

भक्तिपूर्वक इस व्रत को करने से व्रती को करोड़ों गायों को दान करने के समान फल प्राप्त होता है। साथ ही निर्जला एकादशी की कथा पढ़नी या सुननी चाहिये। द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद विधिपूर्वक ब्राह्मण को भोजन करवाकर एवं दक्षिणा देकर तत्पश्चात अन्न व जल ग्रहण करें।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com