Sawan somwar Shivratri 2022 know subh muhurt and pujan vidhi

Sawan Somwar 2022: सावन सोमवार में सालों बाद बन रहा ऐसा शुभ संयोग, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त 

Sawan Shivratri 2022: भगवान शिव का प्रिय सावन महीना चल रहा है। हर तरफ बम-बम भोले की गूंज सुनाई दे रही है। शिव भक्त भोले को मनाने में ...

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 12:33 AM IST, Published Date : July 24, 2022/10:41 pm IST

Sawan Somwar 2022; Sawan Shivratri 2022: भगवान शिव का प्रिय सावन महीना चल रहा है। हर तरफ बम-बम भोले की गूंज सुनाई दे रही है। शिव भक्त बाबा भोले को मनाने में लगे हुए हैं। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। लेकिन सावन में आने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इस साल सावन की शिवरात्रि 26 जुलाई को मनाई जाएगी। ज्योतिष के जानकारों की मानें, तो सावन की शिवरात्रि इस साल बहुत खास होने वाली है। इस बार शिवरात्रि पर शिव-गौरी संयोग बन रहा है। इस शुभ संयोग में भगवान शिव की आराधना करने से जीवन के सारे दुख कट सकते हैं।

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इस साल सावन की शिवरात्रि 26 जुलाई की शाम को 6 बजकर 45 मिनट से लेकर 27 जुलाई को रात 9 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। इसलिए भगवान शिव का जलाभिषेक 26 और 27 जुलाई दोनों दिन किया जा सकेगा। शिवरात्रि में चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व होता है। पूजा के लिए चारों प्रहर श्रेष्ठ माने जाते हैं। इस दिन चारों प्ररह पूजा करने से पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार जलाभिषेक में भद्रा की बाधा भी नहीं होगी।

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26 जुलाई को है मंगला गौरी का व्रत

सावन की शिवरात्रि मंगलवार, 26 जुलाई को है और इस दिन शिव गौरी का मंगलकारी योग भी बन रहा है। यानी इस शिवरात्रि पर ना सिर्फ भगवान शिव का जलाभिषेक होगा, बल्कि मंगला गौरी का व्रत भी साथ ही किया जाएगा। मंगला गौरी व्रत में माता पार्वती की पूजा का विधान है। ज्योतिषियों की मानें तो सावन में शिवरात्रि और मंगला गौरी व्रत का संयोग सालों बाद बना है।

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पूजन विधि

सावन की शिवरात्रि पर सवेरे-सवेरे स्नान के बाद पीले या सफेद रंग के साफ वस्त्र धारण करें। पूजा के स्थान पर भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, भगवान कार्तिकेय और भगवान शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा स्थापित करें और उनकी पूजा करें। मासिक शिवरात्रि की पूजा में शिव परिवार को पंचामृत से स्नान कराया जाता है। पूजा में बेल पत्र, फल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य और इत्र जरूर शामिल करें। इस दिन व्रत करने वालों को शिव पुराण या शिवाष्टक का पाठ अवश्य करना चाहिए। पूजा का समापन शिव आरती के साथ करें।