Shiva Panchakshar Stotra(श्रीशिवपंचाक्षरस्तोत्रम्) : सावन में भगवान् भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए ज़रूर पढ़ें श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र..
To please Lord Shiva in the month of Saavan, you must read Shri Shiv Panchakshar Stotra.
Shiv Panchakshar Stotra
Shiva Panchakshar Stotra(श्रीशिवपंचाक्षरस्तोत्रम्) :शिव का पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” है। यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है और इसमें पांच अक्षर हैं: “न”, “म”, “शि”, “वा”, और “य”। “ॐ नमः शिवाय” को शिव का सबसे पवित्र और शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंत्र के जाप से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता दूर हो जाती है और मानसिक शांति के साथ धन, समृद्धि तथा हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। भगवान् शिव इतने भोले तथा इतने दयालु हैं कि वो श्रद्धा से चढ़ाये हुए एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान् भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र।
Shiva Panchakshar Stotra(श्रीशिवपंचाक्षरस्तोत्रम्) : यहाँ प्रस्तुत है श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र (हिंदी अर्थ सहित)।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांगरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै “न” काराय नमः शिवाय॥
हे महेश्वर! आप नागराज को हार स्वरूप धारण करने वाले हैं। हे (तीन नेत्रों वाले) त्रिलोचन, आप भस्म से अलंकृत, नित्य (अनादि एवं अनंत) एवं शुद्ध हैं। अम्बर को वस्त्र समान धारण करने वाले दिगम्बर शिव, आपके ‘न’ अक्षर द्वारा जाने वाले स्वरूप को नमस्कार है।
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै “म” काराय नमः शिवाय॥
चन्दन से अलंकृत, एवं गंगा की धारा द्वारा शोभायमान, नन्दीश्वर एवं प्रमथनाथ के स्वामी महेश्वर आप सदा मन्दार एवं बहुदा अन्य स्रोतों से प्राप्त पुष्पों द्वारा पूजित हैं। हे शिव, आपके ‘म’ अक्षर द्वारा जाने वाले रूप को नमन है।
Shiva Panchakshar Stotra(श्रीशिवपंचाक्षरस्तोत्रम्)
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै “शि” काराय नमः शिवाय॥
हे धर्मध्वजधारी, नीलकण्ठ, शि अक्षर द्वारा जाने जाने वाले महाप्रभु, आपने ही दक्ष के दम्भ यज्ञ का विनाश किया था। माँ गौरी के मुखकमल को सूर्य समान तेज प्रदान करने वाले शिव, आपके ‘शि’ अक्षर से ज्ञात रूप को नमस्कार है।
Shiva Panchakshar Stotra(श्रीशिवपंचाक्षरस्तोत्रम्)
वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै “व” काराय नमः शिवाय॥
देवगण एवं वसिष्ठ , अगस्त्य, गौतम आदि मुनियों द्वारा पूजित देवाधिदेव! सूर्य, चन्द्रमा एवं अग्नि आपके तीन नेत्र समान हैं। हे शिव !! आपके ‘व’ अक्षर द्वारा विदित स्वरूप को नमस्कार है।
यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै “य” काराय नमः शिवाय॥
Shiva Panchakshar Stotra(श्रीशिवपंचाक्षरस्तोत्रम्)
हे यक्ष स्वरूप, जटाधारी शिव आप आदि, मध्य एवं अंत रहित सनातन हैं। हे दिव्य चिदाकाश रूपी अम्बर धारी शिव !! आपके ‘य’ अक्षर द्वारा जाने जाने वाले स्वरूप को नमस्कार है।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
जो कोई भगवान शिव के इस पंचाक्षर मंत्र का नित्य उनके समक्ष पाठ करता है वह शिव के पुण्य लोक को प्राप्त करता है तथा शिव के साथ सुखपूर्वक निवास करता है।
॥ इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं श्रीशिवपंचाक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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