Shraddh Panchbali Bhog : पंचबलि भोग किसे कहते हैं? श्राद्ध वाले दिन, पितरों के नाम का बना भोजन खिलाने के लिए कौए न मिले तो क्या करें?

What is Panchbali Bhog? If crows are not found to feed the food prepared in the name of ancestors on the day of Shraddh, what should be done?

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  • Publish Date - September 10, 2025 / 05:40 PM IST,
    Updated On - September 20, 2025 / 06:41 PM IST

Shraddh Panchbali bhog..

Shraddh Panchbali Bhog : पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से हो चुकी है, इसके बाद 21 सितंबर को सर्व अमावस्या तक पितरों के नाम हर दिन तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म किए जाएंगे।

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Shraddh Panchbali Bhog

पंचबलि भोग श्राद्ध कर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें भोजन के पांच भाग अलग-अलग निकालकर पांच विशेष जीवों को दिए जाते हैं। पितृ पक्ष के दौरान पितरों को प्रसन्न करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए दिया जाने वाला एक विशेष प्रकार का भोग है, जिसमें गाय, कौआ, कुत्ता, चींटी और देवताओं को भोजन समर्पित किया जाता है। यह भोग पितरों को तृप्त करता है और पितृ दोष को दूर करता है। पंचबलि भोग गाय, कुत्ते, कौए, देव और चीटियों के लिए पत्तल में निकालना चाहिए। मान्यता है इनके भोग ग्रहण करने पर पितरों को अन्न प्राप्त हो जाता है।

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Shraddh Panchbali Bhog: किन जीवों को भोग दिया जाता है?

1. गो बली: पहला भोग गाय को दिया जाता है, जो पवित्रता और पृथ्वी तत्व का प्रतीक है।
2. श्वान बली: दूसरा भोग कुत्ते को दिया जाता है, जिसे यमराज का पशु माना जाता है और इससे यमराज प्रसन्न होते हैं।
3. काक बली: तीसरा भोग कौवे को दिया जाता है।
4. देव बली: चौथा भाग देवताओं के लिए होता है। इस भाग को जल में प्रवाहित किया जा सकता है या गाय को खिलाया जा सकता है।
5. पिपीलिकादि बली: पांचवां भाग चींटियों को दिया जाता है, जो एकता और सामूहिकता का प्रतीक हैं।

श्राद्ध का भोजन सात्विक होना चाहिए श्राद्ध कर्म के दौरान पितरों के नाम बने भोजन को ब्राह्मण से पहले कौए को भोजन कराया जाता है क्योंकि इसके बिना पूर्वज अन्न स्वीकार नहीं करते हैं कौवे को पितरों का प्रतीक कहा जाता है क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कौवों को यमराज का दूत माना जाता है और पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्माएँ कौवे के रूप में आकर भोजन ग्रहण करती हैं। जब कोई कौवा श्राद्ध का भोजन खा लेता है, तो यह माना जाता है कि पितरों ने प्रसाद ग्रहण कर लिया है और वे तृप्त हो गए हैं।
लेकिन आज के दौर में बहुत ही मुश्किल से कौए देखने को मिलते हैं, ऐसे में पूर्वजों को तृप्त करने के लिए अगर कौए न मिले तो क्या किया जाए? आइए जानते हैं..

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Shraddh Panchbali Bhog: श्राद्ध के दिन भोजन के लिए कौवे न मिले तो क्या करें?

शास्त्रों में वर्णित है कि कौवा एक मात्र ऐसा पक्षी है जो पितृ-दूत कहलाता है लेकिन शहरों में कौवे विलुप्त होते जा रहे हैं. ऐसे में अगर आप श्राद्ध का भोजन कौवों को नहीं करा पा रहे हैं तो, कौवे के नाम का भोग गाय या कुत्ते को खिला सकते हैं, क्योंकि पितरों का भोजन गाय, कुत्ते, कौवे, चींटी और देवताओं को खिलाया जाता है, इसे पंचबलि भोग कहते हैं।

Shraddh Panchbali Bhog: पंचबली का महत्व

– मान्यता है कि इन जीवों को भोजन कराने से पितरों को भोजन प्राप्त होता है और वे तृप्त होते हैं।
– यह भोग पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है।
– पंचबली के बिना श्राद्ध कर्म अधूरा माना जाता है।