सेठानी घाट से दिखता है नर्मदा नदी का समुद्र जैसा रुप, भोर होते ही शुरु हो जाते हैं धार्मिक अनुष्ठान | The sea form of river Narmada is seen from the Sethani Ghat! Religious rituals begin as soon as dawn

सेठानी घाट से दिखता है नर्मदा नदी का समुद्र जैसा रुप, भोर होते ही शुरु हो जाते हैं धार्मिक अनुष्ठान

सेठानी घाट से दिखता है नर्मदा नदी का समुद्र जैसा रुप, भोर होते ही शुरु हो जाते हैं धार्मिक अनुष्ठान

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:22 PM IST, Published Date : June 25, 2020/9:39 am IST

होशंगाबाद । हर-हर नर्मदे…नमामि देवी नर्मदे…मां नर्मदा में बस एक डुबकी से हर जाते हैं सब संकट..हो जाते हैं सब मनोरथ पूरे और खुल जाते हैं मोक्ष के पट.। मां नर्मदा जीवनदायनी भी हैं और मोक्षदायनी भी..अमरकंटक से लेकर खंबात की खाड़ी तक मां नर्मदा का हर एक घाट पुण्यदायनी है, लेकिन मध्यप्रदेश के होशंगाबाद का घाटों का घाट सेठानीघाट अपने आप में विशिष्ट है ।

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घाट की हर एक सीढ़ी पर बैठा अतीत नर्मदा की लहरों को 150 सालों से यूं ही एक टक देखता आ रहा है । करीब 3 किलोमीटर में फैले सेठानी घाट पर सालों से आस्था और श्रद्धा का संगम होता आ रहा है ।ये वो घाट हैं जहां हर दिन तीज त्योहार है..हर पल हर क्षण शुभ मुर्हत है । तभी तो हजारों की तदाद में लगती आ रही हैं घाट पर आस्था की डुबकी ।

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मां नर्मदा के किनारे बने सेठानी घाट का निर्माण ब्रिटिश हूकुमत के जमाने में 1880 में हुआ था । तत्कालीन अंग्रेज कलेक्टर ने घाट निर्माण कराए जाने के लिए आम जनता के सहयोग की मांग की जिसके बाद होशंगाबाद की सेठानी जानकी देवी ने घाट के निर्माण कार्य की शुरुआत की और देखते ही देखते घाट बनकर तैयार हो गया ।इसके बाद सेठानी जानकी देवी ने इस घाट को प्रशासन को सौंप दिया तब से लेकर आज तक इस घाट को सेठानी घाट के नाम से जाना जाता है ।

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सेठानी घाट आज उस तीर्थ स्थान की तरह है … जहां हमेशा वैदिक मंत्रोच्चारों से गुंजयमान रहती हैं … चारों दिशाएं । इस घाट पर नर्मदा में स्नान करने से पुण्य तो मिलता ही है साथ ही देश प्रदेश से आने वाले श्रद्धालु घाट पर कई धार्मिक अनुष्ठान भी कराते हैं ।