Chandra Grahan 2025: होली के दिन अनोखा नजारा देखेगी दुनिया… आसमान में दिखेगा ‘ब्लड मून’

Chandra Grahan 2025: होली के दिन अनोखा नजारा देखेगी दुनिया... आसमान में दिखेगा 'ब्लड मून'

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  • Publish Date - March 5, 2025 / 06:26 PM IST,
    Updated On - March 5, 2025 / 06:26 PM IST

Chandra Grahan 2025 Date| Photo Credit: IBC24 File Photo

HIGHLIGHTS
  • 14 मार्च को लगेगा साल का पहला चंद्रग्रहण
  • इस दिन आसमान में दिखाई देगा लाल रंग का चांद
  • यह पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जो तीन साल बाद हो रहा
  • दुनिया के कई हिस्सों में देगा दिखाई

नई दिल्ली। Chandra Grahan 2025: हर साल एक विशेष तिथि और माह को सूर्य और चंद्र ग्रहण लगते हैं। इस साल चैत्र अमावस्या पर साल का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है। एक महीने में दो ग्रहण लग रहे हैं। मार्च में जहां 14 तारीख को चंद्र ग्रहण तो वहीं 29 मार्च को सूर्य ग्रहण लगेगा। हर साल फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा की तिथि पर शाम के वक्त होलिका दहन होता है, वहीं इसके अगले दिन रंगोत्सव मनाया जाता है। इस दिन आसमान में लाल रंग का चांद दिखाई देगा, जिसे ब्लड मून कहा जाता है। यह पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जो तीन साल बाद हो रहा है। कहा जा रहा है कि, इस बार यह चंद्रग्रहण दुनिया के कई हिस्सों में दिखाई देगा।

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बता दें कि, यह चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। ऐसे में इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। इसका प्रभाव मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अफ्रीका के अधिकांश क्षेत्र के अलावा प्रशांत, अटलांटिक, आर्कटिक महासागर, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, पूर्वी एशिया और अंटार्कटिका पर पड़ेगा। चंद्र ग्रहण अमेरिका के न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स और शिकागो, कनाडा के टोरंटो, वैंकूवर और मॉन्ट्रियल, मेक्सिको, ब्राजील, अर्जेंटीना, चिली, कोलंबिया, स्पेन, पुर्तगाल, फ्रांस, घाना, नाइजीरिया में सबसे अच्छा दिखेगा।

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Chandra Grahan 2025: वहीं 14 मार्च 2025 को होली के दिन साल का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा, जो ब्लड मून (लाल चांद) के रूप में दिखाई देगा। यह घटना एक दुर्लभ खगोलीय संयोग है, जिसमें चंद्रमा का रंग लाल हो जाता है। इसे प्रकृति की सबसे दुर्लभ घटना में से एक माना जाता है। वहीं जब पृथ्वी की छाया सूर्य के प्रकाश को रोक लेती है, लेकिन वायुमंडल में मौजूद धूल, गैस और अन्य कणों की वजह से लाल किरणें चंद्रमा तक पहुंचती हैं, जिससे चंद्रमा लाल दिखाई देता है। इस घटना को ‘रेले स्कैटरिंग’ प्रभाव कहते हैं।