Vat Savitri Vrat Katha : कब रखा जायेगा वट सावित्री व्रत? इस व्रत से टलेंगी सारी बलाएं, मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान, ज़रूर पढ़ें व्रत कथा | Vat Savitri Vrat Katha

Vat Savitri Vrat Katha : कब रखा जायेगा वट सावित्री व्रत? इस व्रत से टलेंगी सारी बलाएं, मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान, ज़रूर पढ़ें व्रत कथा

When will Vat Savitri Vrat be observed? This fast will ward off all troubles and give the boon of unbroken good fortune, must read the Vrat Katha

Edited By :  
Modified Date: April 23, 2025 / 06:12 PM IST
,
Published Date: April 23, 2025 6:12 pm IST

Vat Savitri Vrat Katha :वट सावित्री व्रत सौभाग्य को देने वाला और संतान की प्राप्ति में सहायता देने वाला व्रत माना गया है। भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक बन चुका है। ये व्रत रखने से पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है, साथ ही घर में सुख-समृद्धि आती है। यह व्रत सावित्री के पतिव्रत धर्म और समर्पण का प्रतीक है, और ऐसा माना जाता है कि यह व्रत पति पर आने वाले संकटों को दूर करता है।
वट सावित्री अमावस्या सुहागिन महिलाओं का खास व्रत है। इस संबंध में धार्मिक शास्त्रों की मानें तो वट सावित्री अमावस्या और वट सावित्री पूर्णिमा दोनों ही तिथि पर सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र और घर की सुख-समृद्धि के लिए वट वृक्ष का पूजन करती हैं। वट वृक्ष ज्ञान व निर्वाण का भी प्रतीक है। भगवान बुद्ध को इसी वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसलिए वट वृक्ष को पति की दीर्घायु के लिए पूजना इस व्रत का अंग बना। महिलाएँ व्रत-पूजन कर कथा कर्म के साथ-साथ वट वृक्ष के आसपास सूत के धागे परिक्रमा के दौरान लपेटती हैं। इस दिन सती सावित्री की व्रत कथा सुनीं जाती हैं। बता दें कि यदि आप अमावस्या के अनुसार वट सावित्री व्रत रखना चाहती हैं, तो यह व्रत तिथि के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या, 26 मई 2025, सोमवार को रखा जाएगा और पूरे दिन पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। आईये आपको बताते हैं वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त..

Vat Savitri Vrat Katha

अमावस्या वाला वट सावित्री व्रत 2025 के शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या तिथि का प्रारंभ: सोमवार, 26 मई 2025 को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से।
ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या का समापन: मंगलवार, 27 मई 2025 को सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक।
उदया तिथि के महत्व के अनुसार वट सावित्री व्रत 26 मई 2025, सोमवार को ही किया जाएगा।
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:03 से 04:44 मिनट तक। (यह समय ध्यान और पूजा के लिए उत्तम माना जाता है)।
प्रातः सन्ध्या- सुबह 04:24 से 05:25 मिनट तक।
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:51 से दोपहर 12:46 मिनट तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:36 से 03:31 मिनट तक।

Vat Savitri Vrat Katha : यहाँ प्रस्तुत हैं वत सावित्री व्रत की व्रत कथा

भद्र देश के एक राजा थे, जिनका नाम अश्वपति था। भद्र देश के राजा अश्वपति के कोई संतान न थी। उन्होंने संतान की प्राप्ति के लिए मंत्रोच्चारण के साथ प्रतिदिन एक लाख आहुतियाँ दीं। अठारह वर्षों तक यह क्रम जारी रहा।
इसके बाद सावित्रीदेवी ने प्रकट होकर वर दिया कि: राजन तुझे एक तेजस्वी कन्या पैदा होगी। सावित्रीदेवी की कृपा से जन्म लेने के कारण से कन्या का नाम सावित्री रखा गया।
कन्या बड़ी होकर बेहद रूपवान हुई। योग्य वर न मिलने की वजह से सावित्री के पिता दुःखी थे। उन्होंने कन्या को स्वयं वर तलाशने भेजा।
सावित्री तपोवन में भटकने लगी। वहाँ साल्व देश के राजा द्युमत्सेन रहते थे, क्योंकि उनका राज्य किसी ने छीन लिया था। उनके पुत्र सत्यवान को देखकर सावित्री ने पति के रूप में उनका वरण किया।

Vat Savitri Vrat Katha
ऋषिराज नारद को जब यह बात पता चली तो वह राजा अश्वपति के पास पहुंचे और कहा कि हे राजन! यह क्या कर रहे हैं आप? सत्यवान गुणवान हैं, धर्मात्मा हैं और बलवान भी हैं, पर उसकी आयु बहुत छोटी है, वह अल्पायु हैं। एक वर्ष के बाद ही उसकी मृत्यु हो जाएगी।
ऋषिराज नारद की बात सुनकर राजा अश्वपति घोर चिंता में डूब गए। सावित्री ने उनसे कारण पूछा, तो राजा ने कहा, पुत्री तुमने जिस राजकुमार को अपने वर के रूप में चुना है वह अल्पायु हैं। तुम्हे किसी और को अपना जीवन साथी बनाना चाहिए।
इस पर सावित्री ने कहा कि पिताजी, आर्य कन्याएं अपने पति का एक बार ही वरण करती हैं, राजा एक बार ही आज्ञा देता है और पंडित एक बार ही प्रतिज्ञा करते हैं और कन्यादान भी एक ही बार किया जाता है।
सावित्री हठ करने लगीं और बोलीं मैं सत्यवान से ही विवाह करूंगी। राजा अश्वपति ने सावित्री का विवाह सत्यवान से कर दिया।
सावित्री अपने ससुराल पहुंचते ही सास-ससुर की सेवा करने लगी। समय बीतता चला गया। नारद मुनि ने सावित्री को पहले ही सत्यवान की मृत्यु के दिन के बारे में बता दिया था। वह दिन जैसे-जैसे करीब आने लगा, सावित्री अधीर होने लगीं। उन्होंने तीन दिन पहले से ही उपवास शुरू कर दिया। नारद मुनि द्वारा कथित निश्चित तिथि पर पितरों का पूजन किया।

Vat Savitri Vrat Katha

हर दिन की तरह सत्यवान उस दिन भी लकड़ी काटने जंगल चले गये साथ में सावित्री भी गईं। जंगल में पहुंचकर सत्यवान लकड़ी काटने के लिए एक पेड़ पर चढ़ गये। तभी उसके सिर में तेज दर्द होने लगा, दर्द से व्याकुल सत्यवान पेड़ से नीचे उतर गये। सावित्री अपना भविष्य समझ गईं।

सत्यवान के सिर को गोद में रखकर सावित्री सत्यवान का सिर सहलाने लगीं। तभी वहां यमराज आते दिखे। यमराज अपने साथ सत्यवान को ले जाने लगे। सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ीं।

यमराज ने सावित्री को समझाने की कोशिश की कि यही विधि का विधान है। लेकिन सावित्री नहीं मानी।
सावित्री की निष्ठा और पतिपरायणता को देख कर यमराज ने सावित्री से कहा कि हे देवी, तुम धन्य हो। तुम मुझसे कोई भी वरदान मांगो।

Vat Savitri Vrat Katha

1) सावित्री ने कहा कि मेरे सास-ससुर वनवासी और अंधे हैं, उन्हें आप दिव्य ज्योति प्रदान करें। यमराज ने कहा ऐसा ही होगा। जाओ अब लौट जाओ।
लेकिन सावित्री अपने पति सत्यवान के पीछे-पीछे चलती रहीं। यमराज ने कहा देवी तुम वापस जाओ। सावित्री ने कहा भगवन मुझे अपने पतिदेव के पीछे-पीछे चलने में कोई परेशानी नहीं है। पति के पीछे चलना मेरा कर्तव्य है। यह सुनकर उन्होने फिर से उसे एक और वर मांगने के लिए कहा।

2) सावित्री बोलीं हमारे ससुर का राज्य छिन गया है, उसे पुन: वापस दिला दें।
यमराज ने सावित्री को यह वरदान भी दे दिया और कहा अब तुम लौट जाओ। लेकिन सावित्री पीछे-पीछे चलती रहीं।

यमराज ने सावित्री को तीसरा वरदान मांगने को कहा।
3) इस पर सावित्री ने 100 संतानों और सौभाग्य का वरदान मांगा। यमराज ने इसका वरदान भी सावित्री को दे दिया।

सावित्री ने यमराज से कहा कि प्रभु मैं एक पतिव्रता पत्नी हूं और आपने मुझे पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया है। यह सुनकर यमराज को सत्यवान के प्राण छोड़ने पड़े। यमराज अंतध्यान हो गए और सावित्री उसी वट वृक्ष के पास आ गई जहां उसके पति का मृत शरीर पड़ा था।

Vat Savitri Vrat Katha

सत्यवान जीवंत हो गया और दोनों खुशी-खुशी अपने राज्य की ओर चल पड़े। दोनों जब घर पहुंचे तो देखा कि माता-पिता को दिव्य ज्योति प्राप्त हो गई है। इस प्रकार सावित्री-सत्यवान चिरकाल तक राज्य सुख भोगते रहे।

अतः पतिव्रता सावित्री के अनुरूप ही, प्रथम अपने सास-ससुर का उचित पूजन करने के साथ ही अन्य विधियों को प्रारंभ करें। वट सावित्री व्रत करने और इस कथा को सुनने से उपवासक के वैवाहिक जीवन या जीवन साथी की आयु पर किसी प्रकार का कोई संकट आया भी हो तो वो टल जाता है।

————-

Read more : यहाँ पढ़ें और सुनें

Varuthini Ekadashi 2025 date : वरुथिनी एकादशी का व्रत, दस हज़ार वर्षों तक की तपस्या का फल प्राप्त करने के बराबर है, जाने तिथि एवं व्रत कथा

Mohini Ekadashi 2025 date : किस दिन रखा जायेगा मोहिनी एकादशी का व्रत? जाने तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं व्रत कथा की सम्पूर्ण जानकारी

Akshaya Tritiya 2025 Upay : अक्षय तृतीया पर ये 5 चीज़ें खरीदना होगा सोना-चाँदी खरीदने जितना शुभ.. जीवनभर नहीं होगा धन का अभाव

Akshaya Tritiya 2025 Gajkesari Rajyog : इस अक्षय तृतीया पर बन रहे गजकेसरी राजयोग से ये 4 राशियाँ होंगी अति भाग्यशाली, होगी धन की वर्षा

Andhak Kaun tha : किस कारणवश करना पड़ा भगवान शिव को अपने ही पुत्र ‘अंधक’ का वध? बहुत ही कम लोग जानतें हैं इस रहस्य के बारे में..

 

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए हमारे फेसबुक फेज को भी फॉलो करें
IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें
Follow the IBC24 News channel on WhatsApp