Vivah Panchami 2025 Date: 24 यां 25 नवंबर, कब है विवाह पंचमी? राम-सीता के विवाह के दिन, शादियां क्यों नहीं होती? जान लें चौंकाने वाला रहस्य!
हिन्दू धर्म में विवाह पंचमी एक पवित्र और प्रेमपूर्ण पर्व है। यह वह शुभ तिथि है जब भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह हुआ था, इसलिए इस दिन को “विवाह पंचमी” या “राम-विवाह उत्सव” भी कहा जाता है। परन्तु प्रश्न ये उठता है कि इतना शुभ दिन होते हुए भी इस दिन शादियां क्यों नहीं होती हैं? आईये जानते हैं..
Vivah Panchami 2025/Image Source: IBC24
- विवाह पंचमी 2025: राम-सीता की शादी का दिन, पर इंसान क्यों नहीं करते शादी? पूरी सच्चाई
- विवाह पंचमी 2025: क्यों इस दिन शादी नहीं होती? शास्त्रों का चौंकाने वाला रहस्य
Vivah Panchami 2025 Date: हिन्दू धर्म में विवाह पंचमी सबसे प्रेममय और पवित्र उत्सव है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाने वाला यह पर्व, दांपत्य जीवन की एक उत्कृष्ट मिसाल पेश करता है, क्यूँकि यह वह शुभ दिन है जब त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम और माता जानकी (सीता) का विवाह मिथिला की पावन धरा पर बड़े ही धूमधाम से संपन्न हुआ था। भगवान श्री राम और माता सीता के दिव्य विवाह की याद में विशेष रूप से मिथिला क्षेत्र में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
Vivah Panchami 2025 Date: कब है विवाह पंचमी 2025?
विवाह पंचमी तिथि 24 नवंबर 2025, रात्रि 09:22 बजे से 25 नवंबर 2025, रात्रि 10:56 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार, ये उत्सव 25 नवंबर 2025 को मनाया जायेगा।
Vivah Panchami 2025: पुरे ब्रह्माण्ड का सबसे आदर्श विवाह!
भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह पुरे ब्रह्माण्ड का सबसे आदर्श विवाह माना जाता है जिसमें न तो कोई दहेज था, न ही दिखावा, था तो सिर्फ धर्म और प्रेम। यह उत्सव प्रेम, त्याग, मर्यादा, कर्तव्य और आदर्श दांपत्य का प्रतीक है तो लोगों के ज़हन में ये सवाल उठता है कि इतना शुभ दिन होते हुए भी विवाह पंचमी (राम-सीता के विवाह) के दिन इंसान शादी क्यों नहीं कर सकते? आईये आपको बताते हैं इसका कारण..
Vivah Panchami 2025 Date: इस दिन विवाह क्यों नहीं होते हैं?
विवाह पंचमी के आते ही हर किसी के दिल में ये प्रश्न उठता है कि विवाह का इतना शुभ दिन होते हुए भी इंसानों की शादी इसी दिन क्यों नहीं होती? मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को त्रेता युग में श्री राम और सीता जी का विवाह हुआ था। इसलिए यह तिथि “देव-विवाह तिथि” कहलाती है। जैसे देवताओं के उठने का दिन (देवउठनी एकादशी) मनुष्यों के विवाह के लिए नहीं होता, वैसे ही राम-सीता के विवाह का दिन भी केवल और केवल उन्ही को समर्पित है। मान्यता है कि अगर कोई इस दिन शादी करता है तो उसका वैवाहिक जीवन राम-सीता जैसा तो बन ही नहीं पाता, बल्कि दाम्पत्य जीवन में कई बार कष्टों का सामना भी करना पड़ता है।
मिथिला में आज भी ये कहावत है कि “राम जी बियाह करत बिया, अपना बियाह कोनो ना करिया”। जिसका अर्थ है “जब राम जी खुद शादी कर रहे हों, उस समय कोई अपनी शादी नहीं करता”, इसलिए आज भी मिथिला में इस दिन विवाह नहीं होता है।
Disclaimer:- उपरोक्त लेख में उल्लेखित सभी जानकारियाँ प्रचलित मान्यताओं और धर्म ग्रंथों पर आधारित है। IBC24.in लेख में उल्लेखित किसी भी जानकारी की प्रामाणिकता का दावा नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना पँहुचाना है।
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