A success story: “माँ को बुलाते थे डायन, नहीं पीते थे घर पर पानी”, आज बधाई देने वालो का लगा हैं तांता, पढ़े क्रिकेट U19 WC जीतने वाली अर्चना की कहानी

Father died due to cancer and brother died due to snake bite. The whole village used to call the mother of that house as a witch. No one used to come to his house. Whoever used to come did not even drink water at their house. But today things have changed

A success story: “माँ को बुलाते थे डायन, नहीं पीते थे घर पर पानी”, आज बधाई देने वालो का लगा हैं तांता, पढ़े क्रिकेट U19 WC जीतने वाली अर्चना की कहानी

A success story

Modified Date: January 30, 2023 / 01:05 pm IST
Published Date: January 30, 2023 1:03 pm IST

A success story: पिता के कैंसर की वजह से और भाई के सांप के काटने की वजह से मौत हो गई थी। पूरा गाँव उस घर की माँ को डायन कहकर बुलाता था। कोई भी उसके घर नहीं आता था। जो आता भी था वह उनके घर पानी भी नहीं पीता था। लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। ना सिर्फ परिजन बल्कि अनजान लोगो का घर पर तांता लगा हुआ हैं। आज उस माँ को भर-भरकर बधाइयाँ मिल रही हैं। उन्हें दुनिया की सबसे खुशनसीब माँ बताया जा रहा हैं। लोग आज उस माँ के संघर्ष और उसके फैसलों की जमकर तारीफ कर रहे हैं।

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A success story: यह पूरी कहानी है अर्चना देवी की. अर्चना रविवार को अंडर19 वीमेंस वर्ल्डकप जितने वाली टीम का हिस्सा थी. रविवार को इंग्लैण्ड के साथ हुए विश्वकप के फाइनल मुकाबले में अर्चना ने शानदार गेंदबाजी की और भारतीय टीम को विश्वकप जिताने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन इस सफलता के चकाचौंध के पीछे संघर्षो का अन्धेरा भी छिपा हैं। अर्चना देवी उन्नाव के बांगरमऊ रतईपुरवा गांव की रहने वाली हैं। पिता के गैरमौजूदगी में अर्चना देवी का लालन-पालन उसकी माँ सावित्री देवी ने किया। बेटी को गांव की तंग गलियों से विदेशी मैदान तक पहुँचाने वाली उस माँ ने बहुत दर्द सहे है, बहुत तकलीफे देखी हैं। बावजूद ना वह अपने लक्ष्य से डिगी और न ही उनकी बेटी अर्चना।

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A success story: इस जीत के बाद मिडिया भी अर्चना के घर का रुख कर गया और उसकी माँ से बातचीत की। माँ सावित्री देवी ने बताया की जीवन संघर्षो से भरा रहा हैं। पति की कैंसर से और बेटे का सांप के काटने से मौत हो चुकी थी। ऐसे में उनके सामने अर्चना के भविष्य को संवारने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी। समाज के असहयोग के बावजूद उन्होंने अर्चना को बेहतर शिक्षा के लिए मुरादाबाद में लड़कियों के बोर्डिंग स्कूल ‘कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय भेज दिया। लेकिन इस फैसले का भी विरोध हुआ। लोगो ने कहा की उन्होंने अपनी बेटी को कही बेच दिया हैं, उसे गलत धंधे में धकेल दिया हैं।

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A success story: लेकिन आज वही बेटी देश और अपनी टीम का सम्मान बढ़ा रही हैं। वह उस टीम का हिस्सा हैं जिन्होंने पहली बार विश्वकप जीता हैं। बेटी की इस सफलता से माँ बहुत खुश हैं। बेटी के कामयाबी का ही नतीजा हैं की जिस घर के दहलीज पर कभी कोई कदम नहीं रखता था, जिस माँ से कोई सीधे मुंह बात भी नहीं करता था, उसे बधाइयाँ देने वालो का घर पर तांता लगा हैं। गाँव में जश्न का महल हैं। जगह-जगह आतिशबाजी हो रही हैं, मिठाइयां बंट सही हैं. बेटी अर्चना के वापिस लौटने पर उसके स्वागत की तैयारी की जा रही हैं। पूरे गांव में त्यौहार सा माहौल हैं।


लेखक के बारे में

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