जयपुर, 27 दिसंबर (भाषा) वनडे और टी20 क्रिकेट में भारत के कोच के तौर पर आईसीसी और एसीसी ट्रॉफी जीत चुके गौतम गंभीर का रिकॉर्ड बहुत अच्छा है लेकिन शीर्ष टीमों के खिलाफ दस टेस्ट में मिली हार के बाद पारंपरिक प्रारूप के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता।
समझा जाता है कि पिछले महीने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की श्रृंखला हारने के बाद क्रिकेट बोर्ड में शीर्ष पदस्थ किसी शख्स ने अनौपचारिक तौर पर वीवीएस लक्ष्मण से पूछा था कि क्या वह टेस्ट टीम के कोच बनने के इच्छुक हैं ।
लक्ष्मण हालांकि बेंगलुरू में उत्कृष्टता केंद्र में क्रिकेट प्रमुख बने रहने में ही खुश हैं ।
गंभीर का बीसीसीआई के साथ करार 2027 वनडे विश्व कप तक है लेकिन ऐसी संभावना है कि इस पर पुनर्विचार किया जाये । यह पांच सप्ताह बाद शुरू हो रहे टी20 विश्व कप में भारत के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा ।
समझा जाता है कि बीसीसीआई के गलियारों में इसे लेकर अभी भी दुविधा है कि विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप 2025 . 27 सत्र के बाकी नौ टेस्ट के लिये क्या गंभीर को ही कोच बनाये रखना उचित होगा ।
भारत को श्रीलंका के खिलाफ अगस्त 026 में दो टेस्ट खेलने हैं जबकि अक्टूबर में न्यूजीलैंड दौरा करना है । इसके बाद आस्ट्रेलियाई टीम जनवरी फरवरी 2027 में पांच टेस्ट की श्रृंखला खेलने आयेगी ।
बीसीसीआई के एक सूत्र ने कहा ,‘‘ बीसीसीआई हुक्मरानों का गंभीर को पूरा समर्थन हासिल है । भारतीय टीम अगर टी20 विश्व कप बरकरार रखती है या फाइनल में भी पहुंचती है तो वह पद पर बने रहेंगे । यह देखना रोचक होगा कि क्या वह टेस्ट प्रारूप में भी कोच बने रहते हैं ।’’
उन्होंने कहा ,‘ उन्हें इस बात का फायदा है कि टेस्ट क्रिकेट में कोचिंग के लिये अधिक विकल्प नहीं हैं । वीवीएस लक्ष्मण कोच बनने के इच्छुक नहीं हैं ।’’
भारतीय ड्रेसिंग रूम में भी गंभीर के दौर में कई खिलाड़ी उस तरह से सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं, जैसे राहुल द्रविड़ के कार्यकाल में करते थे जब सभी की भूमिकायें तय थी ।
द्रविड़ के तीन साल के कार्यकाल में खिलाड़ियों को अपनी उपयोगिता साबित करने के लिये भी लंबा समय मिला था ।
टी20 विश्व कप टीम से शुभमन गिल को बाहर किये जाने के फैसले पर गंभीर की छाप थी और कई खिलाड़ियों का मानना है कि अगर भारतीय क्रिकेट के अगले ‘पोस्टर ब्वॉय’ का यह हाल हो सकता है तो बाहर होने वालों में अगला नाम किसी का भी हो सकता है ।
टी20 विश्व कप के बाद दो महीने इंडियन प्रीमियर लीग के होंगे और बीसीसीआई के पास अलग अलग प्रारूप के लिये अलग कोच या तीनों प्रारूपों के लिये एक ही कोच पर विचार करने के लिये काफी समय होगा ।
भाषा मोना नमिता
नमिता