अदालत ने राज्य संघों को चेताया, न्यायालय के आदेशों को विफल करने के लिए ‘गुपचुप तरीके’ नहीं अपनाएं |

अदालत ने राज्य संघों को चेताया, न्यायालय के आदेशों को विफल करने के लिए ‘गुपचुप तरीके’ नहीं अपनाएं

अदालत ने राज्य संघों को चेताया, न्यायालय के आदेशों को विफल करने के लिए ‘गुपचुप तरीके’ नहीं अपनाएं

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:08 PM IST, Published Date : August 10, 2022/7:41 pm IST

नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को राज्य फुटबॉल संघों को चेतावनी दी कि वह न्यायालय के आदेशों को विफल करने के लिए उनके ‘गुपचुप तरीकों’ की सराहना नहीं करता और यह उन पर निर्भर है कि वे भारत में 2022 फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप आयोजित करें।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने तीन अगस्त को एक आदेश पारित किया था और आगे का रास्ता यह है कि प्रशासकों की समिति (सीओए) और केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट की मेजबानी के लिए अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ (फीफा) और एशियाई फुटबॉल परिसंघ (एएफसी) के साथ काम करें।

न्यायालय ने इस तथ्य पर गौर किया कि भारत को 11 अक्टूबर 2022 से फीफा अंडर -17 महिला विश्व कप 2022 की मेजबानी करनी है।

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि वह राज्य फुटबॉल संघों, केंद्र द्वारा दायर संशोधन आवेदनों और सीओए द्वारा अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के अपदस्थ अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ कथित रूप से शीर्ष अदालत की ‘कार्रवाई में हस्तक्षेप’ के लिए दायर अवमानना ​​याचिका को गुरुवार के लिए सूचीबद्ध कर रही है।

पीठ ने राज्य फुटबॉल संघों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी से कहा, ‘‘हम न्यायालय के आदेशों को विफल करने के लिए आपके गुपचुप तरीके अपनाने की सराहना नहीं करते हैं। अंततः आपको यह तय करना होगा कि आप टूर्नामेंट आयोजित करना चाहते हैं या नहीं। हम भी देख रहे थे कि हमारे पिछले सप्ताह के आदेश के बाद क्या हो रहा था।’’

मेनका ने कहा कि उन्होंने एक आवेदन भी दायर किया है और चाहती हैं कि इसे अन्य पक्षों द्वारा दायर अन्य आवेदनों के साथ सूचीबद्ध किया जाए।

उन्होंने कहा, ‘‘हम भी चाहेंगे कि टूर्नामेंट इसी देश में हो। फुटबॉल में हमारे देश का भविष्य इसी टूर्नामेंट पर निर्भर करता है।’’

पीठ ने कहा कि वह सभी आवेदनों पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को इस पर विचार करेगी।

शुरुआत में सीओए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि उन्होंने अवमानना ​​याचिका दायर की है क्योंकि दुर्भाग्य से कुछ परेशान करने वाली घटनाएं हुई हैं और उन्हें ‘‘एक व्यक्ति के हस्तक्षेप के कारण न्यायालय के आदेश के कार्यान्वयन में समस्या का सामना करना पड़ रहा है जिसे इस न्यायालय द्वारा बाहर कर दिया गया है।’’

उन्होंने कहा कि उन्होंने पाया है कि इस हस्तक्षेप के कारण केंद्र सरकार को भी कुछ दबाव का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें एक संशोधन आवेदन दाखिल करना पड़ा।

युवा मामले और खेल मंत्रालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि उन्होंने एक संशोधन आवेदन दायर कर तीन अगस्त के आदेश को संशोधित करने की मांग की है क्योंकि फीफा ने उन्हें ‘रोडमैप’ का पालन नहीं करने के बारे में लिखा है।

जैन ने कहा, ‘‘फीफा ने कहा है कि अगर उनके सहमत रोडमैप का पालन नहीं किया गया तो वे मेजबानी के अधिकार वापस ले लेंगे। फीफा का यह पत्र अंतरिम आदेश के कारण आया है और इसलिए हमने आवेदन दायर किया है।’’

पीठ ने जैन से कहा कि फीफा एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है और यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है और सबसे अच्छा तरीका यह है कि केंद्र और सीओए फीफा के साथ काम करें और सुनिश्चित करें कि टूर्नामेंट आयोजित किया जाए।

पीठ ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका बातचीत है और अपने मुवक्किल (केंद्र) से हस्तक्षेप करने और फीफा प्रतिनिधिमंडल के साथ चर्चा करने और इस मामले को सुलझाने के लिए कहें। उम्मीद है कि कोई रास्ता मिल जाएगा। हम कल (गुरुवार) के लिए सभी आवेदनों को सूचीबद्ध करेंगे। ’’

शंकरनारायणन ने कहा कि उनके अवमानना ​​​​आवेदन को भी सूचीबद्ध किया जाना चाहिए, हालांकि वे इसके लिए जोर नहीं देंगे लेकिन दस्तावेजीकरण के उद्देश्यों के लिए इसे सूचीबद्ध किया जा सकता है, जिस पर पीठ ने सहमति व्यक्त की।

भाषा सुधीर नमिता

नमिता

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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