दक्षिण अफ्रीका में इन चार मैचों में काफी कुछ सीखा : जुगराज सिंह

दक्षिण अफ्रीका में इन चार मैचों में काफी कुछ सीखा : जुगराज सिंह

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  • Publish Date - February 14, 2022 / 04:48 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:59 PM IST

पोटचेफस्ट्रूम, 14 फरवरी (भाषा) दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हैट्रिक बनाने के बाद सुर्खियों में आये युवा ड्रैग फ्लिकर जुगराज सिंह ने कहा कि एफआईएच हॉकी प्रो लीग में भारत की तरफ से पदार्पण करना उनके लिये भावनात्मक अनुभव रहा और वह बेहतर खिलाड़ी बनने के लिये कड़ी मेहनत करने को तैयार हैं।

अमृतसर के इस 26 वर्षीय खिलाड़ी ने दक्षिण अफ्रीका में पिछले सप्ताह एफआईएच प्रो लीग के दौरान फ्रांस के खिलाफ मैच में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण किया।

हॉकी इंडिया की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार जुगराज ने कहा, ‘‘एफआईएच हॉकी प्रो लीग जैसे महत्वपूर्ण टूर्नामेंट में देश की तरफ से पदार्पण करना निश्चित रूप से मेरे लिये भावनात्मक क्षण था और भारत (दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ) के लिये अपने दूसरे मैच में ही हैट्रिक बनाना बहुत खास था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पूरी टीम से जिस तरह का समर्थन मिला वह शानदार था और मुझे लगता है कि उनमें से प्रत्येक के अनुभव से मुझे काफी कुछ सीखना है।’’

ओलंपिक कांस्य पदक विजेता भारत के लिये यह दौरा अच्छा रहा। उसने फ्रांस को 5-0 से हराने के बाद दक्षिण अफ्रीका को दोनों मैच में 10-2 से पराजित किया लेकिन वह फ्रांस से दूसरे मैच में 2-5 से हार गया।

जुगराज ने कहा, ‘‘जब हम साइ (भारतीय खेल प्राधिकरण) बेंगलुरू में अभ्यास कर रहे थे तो हमने वहां मैच जैसी परिस्थितियां तैयार की थी लेकिन वास्तविक प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ खेलना भिन्न होता है। इससे पता चलता है कि हमें सफलता या असफलता को पीछे छोड़कर कैसे आगे बढ़ना है। इस दौरे के दौरान मुझे यह सबसे महत्वपूर्ण सीख मिली।’’

जुगराज को भारतीय खिलाड़ी बनने के लिये काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनके पिता अटारी सीमा पर कुली का काम करते थे। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे जुगराज परिवार में एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने खेल को करियर के रूप में चुना और 11 साल की उम्र में एक खेल हॉस्टल में जाने के बाद उनका जीवन बदलना शुरू हो गया।

उन्हें भारतीय नौसेना में नौकरी मिली जहां से उन्होंने अपने करियर को नये आयाम दिये।

जुगराज ने कहा, ‘‘यहां तक ​​पहुंचने के लिए बहुत संघर्ष और कड़ी मेहनत करनी पड़ी। मैं टीम में जगह बनाने के लिये कड़ी मेहनत करने के लिये तैयार था। मेरे पिता सीमा पर कुली थे और उनके लिये सारी चीजों की व्यवस्था करना वाकई मुश्किल था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने छह साल की उम्र से हॉकी खेलना शुरू कर दिया था। मैं गांव में अपने दोस्तों के साथ खेलता था। इसके बाद मुझे खदुर साहिब में बाबा उत्तम सिंह राष्ट्रीय हॉकी अकादमी के बारे में पता चला, जहां हॉकी से लेकर पढ़ाई और भोजन तक सब कुछ मुफ्त में मिलता था।’’

जुगराज ने कहा, ‘‘मुझे लगा कि इससे मुझे अपनी जिंदगी सुधारने में मदद मिलेगी। मैंने सोचा कि यदि खेल न सही, अच्छी शिक्षा लेने से मुझे अच्छी नौकरी तो मिल जाएगी।’’

जुगराज ने इस अकादमी में कोच बलकार सिंह की देखरेख में अपना कौशल निखारा। वह 2016 में नौसेना से जुड़े जहां से उनकी जिंदगी बदलनी शुरू हुई।

उन्होंने कहा, ‘‘जिस दिन से मैंने हॉकी स्टिक थामी उस दिन से मेरी जिंदगी बदलनी शुरू हो गयी। इससे वास्तव में मेरे परिवार की वित्तीय स्थिति अच्छी हुई।’’

भाषा

पंत सुधीर

सुधीर