मैकुलम की शतकीय पारी देखकर शुरू हुई संजू सैमसन की क्रिकेट यात्रा

मैकुलम की शतकीय पारी देखकर शुरू हुई संजू सैमसन की क्रिकेट यात्रा

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  • Publish Date - May 9, 2024 / 04:47 PM IST,
    Updated On - May 9, 2024 / 04:47 PM IST

बेंगलुरु, नौ मई (भाषा) विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन सिविल सेवा में जाना चाहते थे लेकिन आठ अप्रैल 2008 को कोलकाता नाइट राइडर्स के ब्रैंडन मैकुलम की 73 गेंद में 158 रन की पारी देखकर उनके करियर का सपना बदलकर क्रिकेट की दुनिया की ओर मुड़ गया।

दुबले पतले 14 साल के सैमसन ने जब केरल के शहर कोट्टयम में अपने होटल के कमरे में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पहले मैच में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के खिलाफ मैकुलम की पारी देखी तो उनका दिल बस क्रिकेट में रम गया और सबकुछ हमेशा के लिए बदल गया।

केरल के पूर्व खिलाड़ी रायफी विन्सेंट गोमेज इस विकेटकीपर बल्लेबाज के करीबी मित्र हैं। उन्होंने बताया, ‘‘संजू हमेशा उस दिन को याद करते हैं, जिसने उन्हें शीर्ष खिलाड़ियों की जमात में पहुंचने का सपना दिखाया था। ’’

पर सिर्फ सपने से ही कोई भी अपने पेशे में शीर्ष पर नहीं पहुंच सकता लेकिन सैमसन क्रिकेट के रास्ते पर चलने के लिए दृढ़ थे।

भारतीय महिला क्रिकेट टीम के पूर्व क्षेत्ररक्षण कोच बीजू जॉर्ज केरल के इस खिलाड़ी के शुरूआती दिनों के मार्गदर्शक रहे। उन्होंने बताया, ‘‘बारिश हो या कड़ी धूप संजू और उसका भाई सली तिरूवनंतपुरम में मेडिकल कॉलेज मैदान में नेट पर होते थे। एक दिन यहां बहुत बारिश हो रही थी, मैंने सोचा संजू विजिंगजम में अपने घर से करीब 25 किलोमीटर दूर नेट पर नही आयेगा। लेकिन वह समय पर मौजूद था। ’’

उन्होंन कहा, ‘‘वह अपनी क्रिकेट किट लेकर आया था जिसमें उसकी स्कूल की ड्रेस भी थी ताकि वह ट्रेनिंग के बाद स्कूल जा सके। उस उम्र में भी वह इतना अडिग था। ’’

यह अनुशासन शायद उसे अपने परिवार से मिला जिसमें उसके पिता विश्वनाथ दिल्ली पुलिस में फुटबॉल खिलाड़ी थे जिन्होंने अपने बेटे की इच्छा का पूरा समर्थन किया।

वह दिल्ली पुलिस टीम के साथ संजू और उसके भाई के लिए नेट की व्यवस्था करते और वे अकसर उनसे अधिक उम्र के क्रिकेटरों के साथ खेलते।

गोमेज ने कहा, ‘‘संजू के लिए उसके पिता प्रेरणास्रोत थे। वह हमेशा संजू के मैच देखने के लिए आते थे।

संजू की परवरिश उत्तरी दिल्ली में जीटीबी नगर की एक पुलिस कॉलोनी में हुई। वह आधुनिक युग का खिलाड़ी है, वह सोशल मीडिया पर सक्रिय है, मलयालम के फिल्मी स्टार और नेताओं से उसका करीबी रिश्ता है और वह कई विज्ञापनों में भी दिखता है।

लेकिन इस शोहरत का असर उसके व्यवहार में नहीं दिखता और जॉर्ज का कहना हैकि इसी कारण वह केरल में काफी लोकप्रिय हैं।

जॉर्ज ने कहा, ‘‘मलयाली लोगों को दिखावा करने वाले लोग पसंद नहीं हैं, भले ही यह उनकी जानकारी, पैसे या शोहरत का हो। संजू अब तक बहुत ही विनम्र बने हुए हैं और यही चीज उन्हें राज्य के लोगों में लोकप्रिय बनाती है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘केरल से कुछ शीर्ष स्तर के खिलाड़ी निकले हैं जिनमें पीटी ऊषा और श्रीसंत शामिल हैं। मैं उन पर ऊंगली नहीं उठा रहा हूं लेकिन कभी कभार मलयाली को उनका लोगो में खुद को पेश करने और बात करने का तरीका पसंद नहीं आता। पर संजू अलग है। उसके अब भी वहीं दोस्त हैं जिसमें निकोलस उसका मैनेजर है, राहुल राघव बचपन का दोस्त है। संजू अब भी शॉट्स और चप्पल में स्थानीय दुकानों में जाता है।’’

और शायद फुटबॉलर आईएम विजयन राज्य के प्रशंसकों में ऐसा रूतबा रखते थे।

विज्ञापन और मार्केटिंग पेशेवर राजेश आर नायर ने कहा, ‘‘विजयन जब खेलते थे तो सुपरस्टार थे। लेकिन वह अपने गृहनगर त्रिशूर की जड़ों से जुड़े रहे। संजू भी इतने स्टारडम के बावजूद तिरूवंतपुरम और केरल से जुड़े हुए हैं। ’’

भाषा नमिता मोना

मोना