नयी दिल्ली, एक सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) फुटबॉल के आयोजन के लिए जरूरी ‘मास्टर राइट्स एग्रीमेंट (एमआरए)’ के नवीनीकरण से संबंधित मुद्दों पर सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायाधीश पी.एस. नरसिम्हा और न्यायाधीश जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने कहा कि वे ‘मास्टर राइट्स एग्रीमेंट’ के अति आवश्यक मुद्दे पर एक संक्षिप्त आदेश पारित करेंगे और उसके बाद अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के संविधान पर फैसला सुनाएंगे।
न्यायाधीश नरसिम्हा ने कहा, ‘‘ हम पहले एक संक्षिप्त आदेश सुनाएंगे और फिर हम इस महासंघ के संविधान पर फैसला सुनाएंगे। फैसला तैयार है, लेकिन हमने इसे इसलिए नहीं सुनाया क्योंकि इस अधिनियम के लागू होने को लेकर अनिश्चितता है।’’
खंडपीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के.एम. नटराज से पूछा कि राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम, 2025 को लागू करने के लिए सरकार को नियम और अन्य तौर-तरीके लाने में कितना समय लगेगा।
एएसजी ने कहा कि इस मामले में काम चल रहा है और इस अधिनियम को लागू होने में एक महीने या तीन महीने या शायद छह महीने भी लग सकते हैं।
खंडपीठ ने कहा कि वह इतने लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकते। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जब तक यह अधिनियम लागू नहीं हो जाता, तब तक उनका फैसला ही मान्य रहेगा।
एआईएफएफ की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रणजीत कुमार ने कहा कि महासंघ इस बात पर सहमत हो गया है कि वह आईएसएल के संचालन के लिए वाणिज्यिक भागीदार का चयन करने के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी निविदा प्रक्रिया अपनायेगा।
न्यायालय ने इससे पहले 28 अगस्त को कहा कि भारत में ‘उत्कृष्ट प्रतिभा’ है और वह खेल की बेहतरी के लिए एआईएफएफ के मसौदा संविधान को अंतिम रूप देने के लिए ‘हर संभव प्रयास’ करेगा।
भाषा आनन्द सुधीर
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