नई दिल्ली। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में बापू नादकर्णी एक ऐसा नाम हैं जिनके नाम अद्भुत रिकॉर्ड भी है। उन्होंने एक टेस्ट में लगातार 131 गेंदों में एक भी रन नहीं देने का कीर्तिमान बनाया था। बापू नादकर्णी को सबसे ‘कंजूस’ गेंदबाज के तौर पर याद किया जाता है। उन्होंने यह कारनामा 59 साल पहले आज (12 जनवरी, 1964) को ही कर दिखाया था।
बापू नादकर्णी ने अपनी लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाजी की बदौलत 1964 में तत्कालीन मद्रास (चेन्नई) के कॉरपोरेशन स्टेडियम में अंग्रेजों को एक रन के लिए तरसाया दिया था। यहां खेले गए टेस्ट मैच के दौरान उन्होंने एक के बाद एक 131 गेंदें फेंकीं, जिन पर एक भी रन नहीं बना। उस पारी में उन्होंने कुल 32 ओवरों में 27 मेडन फेंके, जिनमें लगातार 21 मेडन ओवर थे। और 5 रन ही दिए, उनका गेंदबाजी विश्लेषण रहा- 32-27-5-0।
पहला स्पेल: 3-3-0-0
दूसरा स्पेल: 7-5-2-0
तीसरा स्पेल: 19-18-1-0
चौथा स्पेल: 3-1-2-0
बापू नादकर्णी नेट्स पर सिक्का रखकर गेंदबाजी करते थे, उनकी बाएं हाथ की फिरकी इतनी सधी थी कि गेंद वहीं पर गिरती थी, टेस्ट करियर में बापू की 1.67 रन प्रति ओवर की इकोनॉमी रही। बापू 41 टेस्ट खेले, 9165 गेंदों में 2559 रन दिए और 88 विकेट झटके थे।
बापू नादकर्णी क्रिकेट के हर डिपार्टमेंट में माहिर थे, वे अपने स्पिन से बल्लेबाजों को बांधा, उनकी बल्लेबाजी भी गजब की थी, वे एक हिम्मती फील्डर भी थे, जो फील्ड पर बल्लेबाज के सामने खड़े होते थे। बापू ने इंग्लैंड के खिलाफ 1963-64 सीरीज में कानपुर में नाबाद 122 रनों की पारी खेलकर भारत को हार से बचाया था ।1933 में नासिक में जन्मे बापू का 2020 (86 साल, 288 दिन की उम्र) में मुंबई में निधन हुआ था।
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