आज ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’, जर्मनी की करारी हार के बाद हिटलर ने कराई थी मेजर ध्यानचंद की हॉकी स्टिक की जांच

आज 'राष्ट्रीय खेल दिवस', जर्मनी की करारी हार के बाद हिटलर ने कराई थी मेजर ध्यानचंद की हॉकी स्टिक की जांच

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  • Publish Date - August 29, 2020 / 03:48 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:54 PM IST

नई दिल्ली। 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस होता है। इस दिन ही हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन होता है। राष्ट्रीय खेल दिवस के दिन राष्ट्रपति, राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार जैसे अवार्ड नामित खिलाड़ियों को प्रदान करते हैं। मेजर ध्यानचंद की स्मृति में आज का दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। उनका जन्म 29 अगस्त 1905 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में एक राजपूत परिवार में हुआ था। उन्हें हॉकी के सबसे महान खिलाड़ी के तौर पर याद किया जाता है, उनको हॉकी का जादूगर कहने के पीछे का कारण उनका मैदान पर प्रदर्शन है, उनके खेल कौशल की वजह से तत्कालीन इंडिया ने साल 1928, 1932 और 1936 में तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते।

ध्यानचंद ने अपने करियर में 400 से अधिक गोल किए। भारत सरकार ने ध्यानचंद को 1956 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया. इसलिए उनके जन्मदिन यानी 29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

साल 1936 में ध्यानचंद की कप्तानी में बर्लिन पहुंची भारतीय टीम से एक बार फिर गोल्ड की उम्मीद थी। भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में भी उम्मीदों पर खरी उतरी और विरोधी टीमों को पस्त करते हुए फाइनल तक पहुंची। फाइनल में भारत की भिड़ंत जर्मनी से होनी थी।

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इस मैच को देखने के लिए खुद हिटलर भी पहुंचे थे, इस मैच से पहले भारतीय टीम तनाव में थी क्योंकि इससे पहले वाले मुकाबले में भारतीय टीम को जर्मनी से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस मैच के पहले हाफ में जर्मनी ने भारत को एक भी गोल नहीं करने दिया, इसके बाद दूसरे हाफ में भारतीय टीम ने एक के बाद एक गोल दागने शुरु किए और जर्मनी को चारों खाने चित कर दिया। हालांकि दूसरे हाफ में जर्मनी भी एक गोल दागने में सफल रही । इस मैच के खत्म होने से पहले ही हिटलर ने स्टेडियम छोड़ दिया था क्योंकि वो अपनी टीम को हारते हुए नहीं देखना चाहता था। इतना ही नहीं इस मैच के दौरान हिटलर ने मेजर ध्यानचंद की हॉकी स्टिक भी चैक करने के लिए मंगवाई।

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बर्लिन में 1936 में हुए ओलंपिक खेलों के बाद उनके प्रदर्शन से प्रभावित होकर हिटलर ने उन्हें डिनर पर आमंत्रित किया था। हिटलर ने उन्हें जर्मनी की तरफ से हॉकी खेलने का प्रस्ताव भी दिया था लेकिन मेजर ध्यानचंद ने इसे ठुकरा दिया और कहा कि उनका देश भारत है और वे इसके लिए ही खेलेंगे।

मेजर ध्यानचंद को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया। ध्यानचंद को साल 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। ध्यानचंद ने हॉकी में एक के बाद एक कीर्तिमान जो बनाए उन तक आज भी कोई खिलाड़ी नहीं पहुंच सका है। इस महान खिलाड़ी की याद में आज का दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।