रायपुर/जशपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के 15 गांवों में अब ग्राम सभाओं का कानून और शासन चलेगा। वे भारतीय कानून और व्यवस्था को नहीं मानेंगे। यहां गांवों में बिना अनुमति प्रवेश वर्जित किया गया है। इसकी घोषणा बच्छरांव की सभा में की गई है। गांव में बैगाओं से पूजा कराकर दो पत्थर गाड़ दिए गए हैं। पहले में लिखा है सबसे ऊंची है ग्राम सभा। दूसरे पत्थर पर पुलिस और प्रशासन को बिना पूछे गांव में आने पर रोक लगाने सहित अपने अधिकारों की घोषणा की गई है। सभा में इन्होंने पत्थलगड़ी की अगली सभा 26 अप्रैल को अंबिकापुर जिले में करने की घोषणा भी कर दी।
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के 15 गांवों में अब ग्राम सभाओं का कानून और शासन चलेगा। वे भारतीय कानून और व्यवस्था को नहीं मानेंगे। यहां गांवों में बिना अनुमति प्रवेश वर्जित किया गया है। इसकी घोषणा बच्छरांव की सभा में की गई #Chhattisgarh #jashpur #SaveTheConsitution pic.twitter.com/1ZlBOB4ocX
— IBC24 (@IBC24News) April 23, 2018
जानकारों का कहना है कि यह देश के संविधान के खिलाफ है। शासन प्रशासन के लिए यह बड़ी चुनौती है, लेकिन 17 फरवरी को पत्थरगढ़ी का उद्घाटन अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय ने किया था। उन्होंने घोरगढ़ी में पत्थर लगाया था। ऐसा माना जा रहा है छत्तीसगढ़ में यहीं से पत्थरगढ़ी की शुरूआत हुई थी।
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जशपुर जिले के बगीचा के बच्छरांव में गांव और आसपास की 15 पंचायतों के आदिवासियों ने ग्राम सभा को सर्वोपरि बताते हुए पत्थरगड़ी आंदोलन शुरू कर दिया। तीर कमान के साथ ग्रामीणों ने रैली निकाली और दोपहर में नारियल तोड़कर गांव में पत्थर गाड़ दिए। इसके बाद अनुसूचित क्षेत्र में बिना अनुमति पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के प्रवेश को अनुचित करार दिया गया। पूरे मामले पर नजर बनाए हुए पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी सुबह से बगीचा में जुटे पर गांव में नहीं गए। इस पूरे मामले पर पुलिस और प्रशासन ने नजर रखी है।
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पत्थर गाड़ कर गांव का सीमांकन किया जाता है। मगर अब इसकी आड़ में पत्थर पर भारतीय संविधान के अनुच्छेदों की गलत व्याख्या कर ग्राम सभा को उससे बड़ा बताया जा रहा है। साथ ही ग्रामीणों को आंदोलन के लिए उकसाया जा रहा है।
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