रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन लिमिटेड में भ्रष्टाचार उजागर करने वाले दवा कारोबारी आकाश मिश्रा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सीजीएसएससी के एमडी व्ही रामाराव की शिकायत पर आकाश मिश्रा को कई दवा कंपनियों ने काम से बेदखल कर दिया है। इसकी जानकारी मिलने पर शासन भी हरकत में आया है। स्वास्थ्य विभाग ने नोटिस जारी कर एमडी रामाराव से जवाब तलब किया है। विभाग ने इसे छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण के विरूद्ध मानते हुए पूछा है कि किस नियम और प्रावधान के तहत किसी निजी फर्म के व्यक्ति को हटाने की अनुशंसा की गई।
उल्लेखनीय है कि एंटीकरप्शन ब्यूरो की टीम ने सीजीएमएससी के उप महाप्रबंधक तकनीकी एवं क्वालिटी कंट्रोल वीरेन्द्र जैन को 1 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। आरोपी ने बिल भुगतान करने के एवज में रिश्वत मांगी थी। एसीबी ने योजनाबध्द तरीके से आरोपी को पचपेडी़ नाका स्थित कलर्स मॉल के पास से पकड़ा तलाशी में उसके पास से रिश्वत की रकम बरामद की गई। छग मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन के माध्यम से आकाश मिश्रा दवाईयां और उपकरण की सप्लाई करता था। 1 दिसम्बर 2017 में उसने दवाईयों और उपकरणों आपूर्ति की थी। इसके भुगतान के लिए उसने विभाग के पास 2 करोड़ रुपए का बिल जमा किया था। इसे पास कराने के लिए वीरेन्द्र जैन ने रिश्वत मांगी थी। शिकायत पर एसीबी ने पूरे मामले की जांच आरोपी को रंगे हाथों पकडऩे की योजना बनाई।
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इसके बाद से आकाश मिश्रा की समस्या बढ़ गई है। उन्होंने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री सचिवालय में भी की है। उन्होंने अपनी शिकायत में बताया कि एमडी के पत्र के कारण उन्हें हेल्थ बायोटेक, स्केन रे और जेस्ट फार्मा ने लाईसनर के काम से बेदखल कर दिया है। इस आधार पर स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव सुनील नारायणिया ने एम डी से स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने 15 दिनों के भीतर पूछा है कि क्या निजी क्षेत्र की कंपनियों को इस तरह की सिफारिश करना आपका क्षेत्राधिकार में आता है। किस नियम प्रावधान के तहत ऐसा किया गया है। नोटिस में इसे छत्तीसगढ़ सिविल सर्विसेस एक्ट 1956 (3) का उल्लंघन माना गया है।
वेब डेस्क, IBC24