पार्षद ही महापौर का करेंगे चुनाव, इन खबरों के बीच गरमाई राजनीति, पार्षद चुनाव लड़ने की फिराक में बड़े नेता

पार्षद ही महापौर का करेंगे चुनाव, इन खबरों के बीच गरमाई राजनीति, पार्षद चुनाव लड़ने की फिराक में बड़े नेता

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  • Publish Date - August 26, 2019 / 12:10 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:16 PM IST

अंबिकापुर। पार्षद ही महापौर का चुनाव करेंगे इस खबर की सरगर्मी के साथ ही अब बड़े नेताओं को वार्ड चुनाव लड़ने और इसके जीतने की चिंता सताने लगी है। हालांकि अब तक इसकी अधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। मगर चर्चाओं के बीच बड़े नेता भी अब वार्ड के चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। भाजपा और कांग्रेस के नेता महापौर के स्वतंत्र चुनाव को बेहतर बता रहे हैं। मगर बदले समीकरण में भी चुनाव जीतने और मेयर बनाने का दावा भी करने से नहीं चूक रहे।

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अंबिकापुर में भी नए समीकरण को लेकर मामला गरमा गया है और सरगर्मी तेज हो गई है। दरअसल अंबिकापुर नगर निगम अनुसूचित जाति यानी एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। नगर निगम अंबिकापुर की बात करें तो यहां पूर्व में भाजपा का कब्जा रहा था तो वहीं वर्तमान में कांग्रेस के महापौर यहां काबिज हैं। पूर्व महापौर प्रबोध मिंज जहां चुनावी तैयारी में जुटे हुए हैं तो वहीं वर्तमान महापौर डॉक्टर अजय तिर्की भी एक बार फिर से महापौर बनने की कवायद में जुटे हुए हैं।

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इन सबके बीच प्रदेश सरकार के द्वारा लाए जा रहे नए समीकरण ने बड़े नेताओं की चिंता भी बढ़ा दी है। हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है मगर चर्चा यह है कि अब महापौर का स्वतंत्र चुनाव होने के बजाय पार्षद ही महापौर का चयन करेंगे ऐसे में कहा जा सकता है कि अब बड़े नेताओं को पूरे शहर की जनता के आकांक्षाओं पर खरा उतरने के साथ ही वार्ड के लोगों की उम्मीदों पर भी खरा उतरना होगा।

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वर्तमान महापौर डॉ अजय तिर्की का कहना है कि इस प्रक्रिया से पार्षदों के खरीद-फरोख्त की आशंका बढ़ सकती है ऐसे में वर्तमान महापौर स्वतंत्र चुनाव को बेहतर बता रहे हैं। मगर महापौर का यह भी कहना है कि अगर सरकार पार्षद चुनाव जीतने और पार्षद के द्वारा ही महापौर बनाने की नीति भी जाती है तो कांग्रेस इसके लिए तैयार है। मगर वह भी मानते हैं कि महापौर का चुनाव जीतना आसान है। जबकि वार्ड का चुनाव थोड़ा मुश्किल।

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इधर पूर्व महापौर और भाजपा नेता प्रबोध मिंज का भी कहना है कि सरकार यह निर्णय ला सकती है क्योंकि वह बहुमत में है मगर इस व्यवस्था से पार्षदों के खरीद-फरोख्त के आशंका से वह भी इनकार नहीं कर रहे। इसके साथ ही पूर्व महापौर का यह भी कहना है कि वर्तमान कांग्रेस की सरकार मेयर का चुनाव जिताने में अपने आप को असक्षम पा रही है यही कारण है कि अब पार्षदों के जिताने के साथ ही उनके सांठगांठ से मेयर बनाने की कवायद में सरकार जुट गई है। जाहिर है भले ही निर्णय पर सहमति ना बनी हो मगर इसे लेकर बड़े नेताओं की चिंता जरूर बढ़ गई है।