राज्यपाल के आदेश की अवहेलना! ​क्या राष्ट्रपति शासन की दिशा में बढ़ रहा है मध्यप्रदेश ?

राज्यपाल के आदेश की अवहेलना! ​क्या राष्ट्रपति शासन की दिशा में बढ़ रहा है मध्यप्रदेश ?

राज्यपाल के आदेश की अवहेलना! ​क्या राष्ट्रपति शासन की दिशा में बढ़ रहा है मध्यप्रदेश ?
Modified Date: November 29, 2022 / 08:41 pm IST
Published Date: March 16, 2020 10:56 am IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में सियासी घटनाक्रम जारी है, नित नए दांव पेंच और विधायकों की लुकाछिपी के बीच राज्यपाल लालजी टंडन के आदेश के बावजूद विधानसभा में सोमवार को फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ। मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए सदन की कार्यवाई 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद गहमागहमी और बढ़ गई है। जिसके बाद अब अटकलों का सिलसिला शुरू हो गया है।

ये भी पढ़ें: सांसद विवेक तन्खा का बड़ा बयान, कहा- फ्लोर टेस्ट की जरूरत नहीं, भाजपा का अतिउत्साह में सुप्रीम कोर्ट जाना औचित्यहीन

अब आगे क्या होगा? यह बड़ा सवाल बन ही रहा था कि इतने में दिल्ली से खबर आई कि भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। भाजपा ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कल सुनवाई का समय तय किया है। अब आगे सुप्रीम कोर्ट का रुख स्पष्ट करेगा कि मध्यप्रदेश में फ्लोर टेस्ट कब होगा।

 ⁠

ये भी पढ़ें: मध्यप्रदेश के सियासत पर दिल्ली की पैनी नजर, केंद्रीय मंत्री के घर आयोजित बैठक में शामिल होने पहुंचे सिंधिया

बता दें, विधानसभा अध्यक्ष ने कोरोना वायरस का हवाला देते हुए विधानसभा की कार्रवाई आगे बढ़ाई है। कोरोना वायरस का सवाल आएगा तो सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट भाजपा से यह सवाल कर सकता है कि उन्हें इतनी जल्दी क्या है? सर्वोच्च अदालत यह भी कह सकती है कि भाजपा पहले मध्यप्रदेश हाई कोर्ट का रुख करे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में मामले में तत्काल सुनवाई भी हो सकती है। यह सर्वोच्च अदालत चाहे तो अगले 24 घंटें में सदन की विशेष सत्र फिर से बुलाने का आदेश जारी कर सकती है।

ये भी पढ़ें: दिग्विजय सिंह बोले- फ्लोर टेस्ट के लिए कांग्रेस हमेशा तैयार, बीजेपी के पास नहीं है बहुमत…

वहीं दूसरी ओर जिस प्रकार से कांग्रेसी हित को ध्यान रखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने अपनी विशेषाधिकार का उपयोग करते हुए सदन की कार्रवाई 26 मार्च तक स्थगित कर दी है, उसी प्रकार राज्यपाल भी अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए राज्यपाल के आदेश की अवहेलना का हवाला देते हुए मध्यप्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा कर सकते हैं। ऐसे में दोनों दलों की सियासत धरी की धरी रह जाएगी।

ये भी पढ़ें: कांग्रेस की आपत्ति के बाद भाजपा के राज्यसभा प्रत्याशियों के नामांकन…

वहीं आज सदन की कार्रवाई स्थगित होने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने सीधा राजभवन का रुख किया। भाजपा अपने 107 विधायकों में से 106 विधायकों की परेड भी राजभवन में करा दी है। हालांकि बहुमत या अल्पमत का फैसला विधानसभा के फ्लोर पर ही होगा, लेकिन सरकार को आदेशित करने के लिए विधायकों की परेड पर्याप्त सबूत है।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com