इधर राम मंदिर के लिए चंदा मांगा जाता है, उधर बढ़ा दिए जाते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम : कमलनाथ

इधर राम मंदिर के लिए चंदा मांगा जाता है, उधर बढ़ा दिए जाते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम : कमलनाथ

  •  
  • Publish Date - January 24, 2021 / 12:19 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:51 PM IST

इंदौर (मध्यप्रदेश), 24 जनवरी (भाषा) वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने केंद्र सरकार पर जनहित के बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ लोगों से अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए चंदा मांगा जाता है और दूसरी तरफ पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा दिए जाते हैं।

प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष कमलनाथ ने इंदौर शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर देपालपुर कस्बे में एक किसान रैली को संबोधित करते हुये कहा, ‘ये (भाजपा नेता) आज राम मंदिर के लिए चंदा इकट्ठा करेंगे और पीछे से पेट्रोल-डीजल के भाव दो-दो रुपये बढ़ा देंगे और (पेट्रो ईंधनों की महंगाई से) ध्यान मोड़ देंगे। यही हो रहा है। पेट्रोल-डीजल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंचने वाले हैं।’

उन्होंने श्रोताओं से पूछा, ‘इस महंगाई से आखिर किसका नुकसान हो रहा है? जब हम (कांग्रेस) केंद्र में सरकार चलाते थे, तब कच्चे तेल और पेट्रोल-डीजल के भाव कितने थे?’

कमलनाथ ने यह भी कहा कि मंदिर और मस्जिद जाने से रोजगार के मौके पैदा नहीं होंगे।

उन्होंने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘मोदी वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के जरिये पहली बार प्रधानमंत्री बनना चाहते थे, तब वह हर साल नौजवानों को दो करोड़ रोजगार देने और किसानों की आय दोगुनी करने की बातें करते थे।’

केंद्र में मंत्री रह चुके कमलनाथ ने कहा, ‘क्या आपने वर्ष 2019 के पिछले लोकसभा चुनावों में मोदी के मुंह से नौजवानों और किसानों से किए गए इन वादों की बात सुनी? वह जनता का ध्यान मोड़ने के लिए पाकिस्तान और राष्ट्रवाद की बातें करने लगते हैं।’

प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके कमलनाथ ने दावा किया कि भाजपा की विरासत में एक भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का नाम शामिल नहीं है। उन्होंने तंज किया, ‘मोदी और भाजपा द्वारा कांग्रेस को राष्ट्रवाद का पाठ कैसे पढ़ाया जा सकता है?’

कमलनाथ, केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के विरोध में किसानों की ट्रैक्टर परेड का नेतृत्व करने देपालपुर पहुंचे थे। इस दौरान वह कृषक बहुल कस्बे में खुद ट्रैक्टर चलाते दिखाई दिए।

उन्होंने दावा किया, ‘नये कानूनों से कृषि क्षेत्र का निजीकरण हो जाएगा और किसानों को उनकी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने की संभावना तक खत्म हो जाएगी। किसान बड़े उद्योगपतियों के बंधुआ मजदूर बन जाएंगे।’

उन्होंने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से साधारण सवाल पूछता हूं कि कृषि क्षेत्र के निजीकरण के बाद कोई उद्योगपति इस क्षेत्र में क्यों आएगा? क्या वह समाजसेवा के लिए या पर्यटक बनकर इस क्षेत्र में आएगा? उद्योगपति केवल अपने नफे के लिए कृषि क्षेत्र में आएगा और उसका यह नफा किसान की जेब से आएगा।’

भाषा हर्ष रंजन

रंजन