राखियों में दिख रही छत्तीसगढ़ की झलक, हाथों हाथ बिक रही हैं धान, चावल, बांस से बनी राखियां, महिला समूह ने एक ही दिन में की बड़ी कमाई

Glimpses of Chhattisgarh seen in Rakhis Rakhis made of paddy, rice and bamboo are being sold hand in hand Women's group made big money in a single day राखियों में दिख रही छत्तीसगढ़ की झलक , हाथों हाथ बिक रही हैं धान, चावल और बांस से बनी राखियां, महिला समूह ने एक ही दिन में की बड़ी कमाई

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  • Publish Date - August 18, 2021 / 06:26 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:56 PM IST

रायपुर 18 अगस्त 2021। इस बार रक्षाबंधन पर महिला स्व सहायता समूहों के द्वारा लगाए गए राखियों के स्टॉल में छत्तीसगढ़िया झलक दिखाई दे रही है। समूह की दीदियों द्वारा बनाई गई राखियों में बांस, धान और चावल से बनी राखियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं और बहनों की पहली पसंद बनकर हाथों हाथ बिक रही हैं।

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राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन एवं राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान योजना के माध्यम से स्व सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने अपनी आर्थिक सुदृढ़ता का रास्ता तैयार कर लिया है। इसके माध्यम से समूह की महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रही है, अपितु उनमें स्वावलंबन की दिशा में भी उन्होंने कदम बढ़ा दिया है। बिलासपुर में जिला पंचायत भवन के मुख्य द्वार पर बूढ़ी माई स्व सहायता समूह धौरामुड़ा एवं जय माँ संतोषी समूह पेण्ड्रीडीह की दीदियों ने राखियों का स्टॉल लगाया है। स्टॉल में 10 रुपये से लेकर 60 रुपये तक की राखियां हैं। समूह की दीदी मंजूषा गढेवाल ने बताया कि राखी बनाने का काम उन्होंने 2 महीने पहले से शुरू कर दिया था। उनके पास धान, चावल व बांस से बनी राखियों के अलावा फैंसी राखियां भी उपलब्ध हैं। इस दौरान स्टॉल में राखी खरीदने आई बहनें धान, चावल और बांस से बनी राखियों को सर्वाधिक पसंद कर रही हैं। समूह ने अपने स्टॉल के पहले ही दिन 18 सौ रुपये की राखियों की बिक्री कर ली।
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दीदियों ने बताया कि बिलासपुर ही नहीं, बल्कि उनकी राखियों को अन्य जिलों के द्वारा भी पसंद और आर्डर किया जा रहा है। इसी के अंतर्गत रायपुर के एक फैंसी स्टोर्स चलाने वाले व्यवसायी ने अपनी दुकान में बेचने के लिए 110 राखियाँ समूह से खरीदी हैं। उल्लेखनीय है कि जिले में एनआरएलएम व एसआरएलएम बिहान योजना के अंतर्गत जिला पंचायत द्वारा ग्रामीण महिलाओं को समूह से जोड़कर उन्हें न केवल प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है, बल्कि उनके पसंदीदा व्यवसाय के लिए उन्हें प्रशिक्षण व बैंकों से ऋण भी उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर व आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें ।