विश्व युद्ध-2 के समय ग्रीटिंग कार्ड पर कल्कि के चित्र से मित्र राष्ट्रों की जीत की कामना की जाती थी

विश्व युद्ध-2 के समय ग्रीटिंग कार्ड पर कल्कि के चित्र से मित्र राष्ट्रों की जीत की कामना की जाती थी

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  • Publish Date - December 27, 2020 / 10:46 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:49 PM IST

पटना, 27 दिसंबर (भाषा) क्रिसमस और नववर्ष की बधाइयां देने के लिए 1930 के दशक के‘ ‘‘ग्रीटिंग कार्ड’’ में कुछ अलग तरह की कलात्मक अपील की जाती थी, लेकिन 1939 में छिड़े द्वितीय विश्व युद्ध ने भारत में छुट्टियों के दौरान लोगों के बीच शुभकामना संदेश वाले पत्रों के आदान-प्रदान के तरीके को प्रभावित किया।

द्वितीय विश्व युद्ध सितंबर 1939 से सितंबर 1945 तक चला था। इसका मतलब है कि छह बार क्रिसमस के त्योहार और नववर्ष पर इस भीषण महायुद्ध की काली साया पड़ी।

पुराने पटना शहर के एक निवासी ने प्राचीन वस्तुओं के अपने संग्रह में उस समय की कुछ दुर्लभ ग्रीटिंग कार्ड को ढूंढ निकाला है।

शायद, उनके संग्रह में सर्वाधिक अनोखा कार्ड वह है, जिसे पूर्ववर्ती बर्दवान राज के शासक महाराजाधिराज बहादुर बिजय चंद महताब ने पटना सिटी के ऐतिहासिक किला हाउस के जलान परिवार को भेजा था। जलान परिवार के मौजूदा वारिस आदित्य जलान ने यह जानकारी दी।

आदित्य के पूर्वज राय बहादुर राधा कृष्ण जलान को 1939 में भेजे गए कार्ड में कहा गया है, ‘‘कल्कि (अवतार) मित्र राष्टों को विजय दिलाए और धरती पर शांति एवं सदभावना लाए, यह बर्दवान के महाराजाधिराज बहादुर की ओर से आपको क्रिसमस और नववर्ष की शुभकामनाएं हैं। ’’

ग्रीटिंग पत्र के नीचे बायें किनारे पर छपा हुआ है ‘‘बिजय मंजिल कलकत्ता 1939/40’’।

बिजय मंजिल या बर्दवान हाउस एक महल है, जिसे शाही परिवार ने कलकत्ता (अब कोलकाता) में आवास के रूप में बनावाया था।

कार्ड के कवर पर भगवान विष्णु के 10 वें अवतार ‘कल्कि’ का स्केच है, जो पंख लगे घोड़े पर सवार हैं और हाथ में एक तलवार लिए हुए हैं।

द्वितीय विश्व युद्ध में विश्व दो भागों मे बंटा हुआ था–मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमेरिका मित्र राष्ट्र देश थे।

उल्लेखनीय है कि मित्र राष्ट्रों को इस विश्वयुद्ध में जीत मिली थी। 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में अमेरिका के परमाणु बम गिराने के बाद यह युद्ध खत्म हुआ था।

आदित्य ने बताया, ‘‘हमने इससे पहले दुर्गा पूजा के अवसर पर भेजे गए कुछ दुर्लभ ग्रीटिंग कार्ड ढूंढे थे, जो 1930 के दशक के थे।’’

भाषा

सुभाष अविनाश

अविनाश