कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के तीन स्वास्थ्य अधिकारियों के खिलाफ पेश किया विशेषाधिकार हनन का नोटिस

कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के तीन स्वास्थ्य अधिकारियों के खिलाफ पेश किया विशेषाधिकार हनन का नोटिस

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  • Publish Date - January 24, 2021 / 01:43 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:09 PM IST

भोपाल, 24 जनवरी (भाषा) मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछले महीने प्रस्तावित प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र को निरस्त करवाने के लिए तीन स्वास्थ्य अधिकारियों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस पेश किया है।

राज्य विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय में शनिवार को दिये गये इस नोटिस में आरोप लगाया गया है कि इन तीन अधिकारियों ने सत्र को निरस्त करवाने में अहम भूमिका निभाई थी।

इसमें कहा गया है कि तीनों अधिकारियों ने विधानसभा सचिवालय के कर्मचारियों एवं विधायक विश्राम गृह में फर्जी कोरोना जांच की साजिश रची और सर्वदलीय बैठक में वहां कोरोना पीड़ितों के गलत आंकड़े प्रस्तुत किये, जिसके चलते कोविड-19 के खतरे को देखते हुए विधानसभा का 28 दिसंबर से शुरू होने वाला प्रस्तावित सत्र स्थगित कर दिया गया था।

मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पार्टी विधायकों -सज्जन सिंह वर्मा, डॉ गोविंद सिंह, एन पी प्रजापति और पीसी शर्मा – के हस्ताक्षर वाले इस नोटिस को राज्य विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय में शनिवार को दिया गया।

विधानसभा के प्रमुख सचिव ए पी सिंह ने पिछले महीने कहा था, ‘‘कोविड-19 के चलते 28 दिसंबर2020 से शुरू होने वाले विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र स्थगित कर दिया गया है। अब बजट सत्र लंबा होगा और उसमें इन तीन दिनों (शीतकालीन सत्र के स्थगित तीन दिन) को जोड़ा जाएगा।’’

विधानसभा के अस्थायी अध्यक्ष रामेश्वर शर्मा ने राज्य विधानसभा के 61 कर्मचारियों – अधिकारियों और पांच विधायकों के कोविड-19 से संक्रमित पाये जाने का खुलासा करने के कुछ ही घंटों बाद यह निर्णय किया था ।

कांग्रेस नेताओं ने अपने नोटिस में आरोप लगाया कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र को स्थगित कराने में भारतीय प्रशाासनिक सेवा के दो अधिकारियों समेत स्वास्थ्य विभाग के तीन वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध और साजिशपूर्ण है।

इसमें कहा गया है कि इन तीनों अधिकारियों ने मिलकर स्वयं के स्तर पर या किसी से प्राप्त निर्देशों के तहत संवैधानिक रूप से 27 नवंबर 2020 को मध्य प्रदेश विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी सत्र की अधिसूचना को निरस्त कराने में भूमिका अदा की।

उन्होंने कहा, ‘‘इस हेतु इन अधिकारियों ने विधानसभा सचिवालय और विधायक विश्राम गृह में फर्जी कोरोना जांच की साजिश रची, सर्वदलीय बैठक में कोरोना पीड़ितों के गलत आंकड़े प्रस्तुत किये और कई तथ्य छिपाए।’’

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि ऐसा करके इन अधिकारियों ने भारतीय संविधान के अंतर्गत निष्ठा एवं ईमानदारी की शपथ का उल्लंघन किया और जनहित/लोकहित के विरूद्ध कार्य किया और मध्य प्रदेश राज्य के गठन के समय से शीतकालीन सत्र की चली आ रही परम्परा में व्यवधान डालकर संवैधानिक रूप से आहूत सत्र में भाग लेने के सदस्यों के विशेषाधिकारों का हनन किया है, सदन की स्वायत्तता एवं सर्वोच्चता में हस्तक्षेप किया और अपने कृत्यों व असत्य कथनों से सदन की अवमानना भी की है।

उन्होंने कहा, ‘‘इन अधिकारियों ने विधानसभा तथा इसके सदस्यों को गुमराह करके जनहित और राज्य हित के खिलाफ कार्य किया है, गलत तथ्य देकर, तथ्यों को छुपाकर भी सदस्यों को गुमराह किया है। संवैधानिक रूप से आहूत सत्र में सदस्यों के भाग लेने के विशेषाधिकर का हनन किया है। विधानसभा, विधानसभा के सदस्यों के हितों के विरूद्ध साजिश और उसकी मानहानि के ये अधिकारी भागीदर हैं।’’

कांग्रेस नेताओं ने विधानसभा अध्यक्ष को दिए इस नोटिस में कहा, ‘‘अत: उपरोक्त वैधानिक प्रावधान, संसदीय परम्पराओं को आपके समक्ष रखते हुए हमारा आपसे अनुरोध है कि मध्यप्रदेश के संसदीय इतिहास में पहली बार हुए इस षडयंत्र और गंभीर अपराध के दोषियों को ऐसा दण्ड दिया जाय, जो आने वाले संसदीय इतिहास के लिए सबक बने।’’

इसी बीच, शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उन्होंने अभी तक विशेषाधिकार नोटिस की कॉपी नहीं देखी है।

प्रदेश भाजपा सचिव एवं प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि इस नोटिस पर निर्णय विधानसभा अध्यक्ष को लेनाहै।

उन्होंने कहा, ‘‘लोगों द्वारा बार-बार नकार दिए जाने के बाद कांग्रेस निराश है। इसलिए वह राज्य के अधिकारियों और संवैधानिक संस्थाओं को निशाना बना रही है।’’

कांग्रेस विधायक एवं प्रदेश के पूर्व मंत्री पी सी शर्मा ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने न केवल कोरोना वायरस की स्थिति (विधानसभा कर्मचारियों और विधायकों की) के बारे में भ्रामक जानकारी दी,बल्कि सत्र स्थगित करने का निर्देश भी विधानसभा को दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, हमने विशेषाधिकार हनन के लिए इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।’’

मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र 22 फरवरी से 26 मार्च तक होगा।

भाषा रावत रंजन

रंजन