मुम्बई, 17 मई (भाषा) महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि उसने अब तक इस बात का फार्मूला तैयार नहीं किया है कि 10 वीं कक्षा के विद्यार्थियों का मूल्यांकन एवं अंक आवंटन कैसे करना है जिनकी बोर्ड परीक्षाएं इस साल कोविड-19 महामारी के चलते रद्द कर दी गयीं।
न्यायमूर्ति एस जे कठावाला और न्यायमूर्ति एस पी तावड़े की खंडपीठ धनंजय कुलकर्णी नामक एक प्रोफेसर की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है । याचिकाकर्ता ने 10 वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने को चुनौती दी है।
याचिका में आईसीएसई और सीबीएसई बोर्डों के ऐसे ही निर्णयों को भी चुनौती दी गयी है।
कुलकर्णी के वकील उदय वरूंजिकार ने सोमवार को दलील दी कि हर बोर्ड की अलग अलग अंक आवंटन प्रणाली है जिससे विद्यार्थियों को ग्यारहवीं कक्षा में दाखिला लेने में परेशानियां होंगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ केंद्र सरकार को दखल देना होगा और उसे एकसमान नीति लेकर सामने आना होगा।’’
केंद्र के वकील संदेश पाटिल ने कहा कि केंद्र का सीबीएसई बोर्ड पर कुछ नियंत्रण है लेकिन आईसीएसई और एसएससी बोर्ड स्वायत्त हैं , इसलिए उन पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है।
एसएससी बोर्ड के वकील किरण गांधी ने अदालत से कहा कि याचिका दायर करने में जल्दबाजी की गयी है। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने अभी इस बात का फार्मूला तैयार नहीं किया है कि 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों को अंक आवंटन कैसे करना है, ऐसे में अभी बोर्ड की परीक्षा समिति इस पर एक फार्मूला तैयार करेगी और उसे अंतिम मंजूरी के लिए राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा।
अदालत ने एसएससी और अन्य प्रतिवादियों (केंद्र , सीबीएसई बोर्ड एवं आईसीएसई बोर्ड) को इस याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 19 मई को होगी।
भाषा राजकुमार नरेश
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