कांग्रेस प्रत्याशी की मौत के बाद मंत्री कवासी लखमा हुए भावुक, तमाम बाधाओं के बावजूद मित्र के अंतिम दर्शन करने पहुंचे उसके गांव
कांग्रेस प्रत्याशी की मौत के बाद मंत्री कवासी लखमा हुए भावुक, तमाम बाधाओं के बावजूद मित्र के अंतिम दर्शन करने पहुंचे उसके गांव
सुकमा। दोरनापाल नगर पंचायत के वार्ड क्रमांक 14 से कांग्रेस प्रत्याशी मिडियम गंगाराम का रविवार की सुबह देहांत हो गया। इस बात की जानकारी दोरनापाल के मंत्री कवासी लखमा के समर्थकों ने रायपुर में मंत्री कवासी लखमा को दी। जिसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ता की मौत की खबर सुन मंत्री कवासी लखमा भावुक हो गए और उन्होने खबर सुनते ही अपने कुछ अन्य समर्थकों को फ़ोन कर मिडियम गंगा को तत्काल बाहर किसी अस्पताल में ले जाने का निर्देश दिया।
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जब उनके समर्थक अस्पताल पहुँचे तो फ़ोन पर मिडियम गंगा की साँसें थम जाने की जानकारी मंत्री कवासी लखमा को दी गई। इस खबर के बाद मंत्री कवासी लखमा पहले अपने विशेष अधिकारी को मिडियम के गाँव सामसट्टी तक जाने के लिए हेलिकॉप्टर की व्यवस्था करने का निर्देश दिया, जब हेलिकॉप्टर की व्यवस्था नहीं हो पाई तो वे स्वयं ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से अपने वरिष्ठ कार्यकर्ता मिडियम गंगा के अंतिम दर्शन के लिए हेलिकॉप्टर देने का विशेष निवेदन किया।
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जिसके बाद मुख्यमंत्री ने तत्काल हेलिकॉप्टर देने का निर्देश दिया रायपुर से 12.54 को मंत्री कवासी लखमा अपने समर्थक रामभवन कुशवाह और पीसीसी सदस्य श्यामु कश्यप के साथ सुकमा के लिए निकले 2 बजे लखमा सुकमा पहुँचे और सुदूर रास्तों से होकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मंत्री कवासी लखमा एवं हरीश कवासी मिडियम गंगा के पैत्रिक गाँव सामसट्टी पहुँचे, जहां दिवंगत मिडियम गंगा के पार्थिव शरीर पर कफ़न डालते वक़्त मंत्री लखमा भावुक हो गए।
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मंत्री कवासी लखमा के सामसट्टी पहुँचने के बाद मिडियम गंगा से मंत्री लखमा के पुराने सम्बंधों का खुलासा हूआ तब लोगों को पता चला की आख़िर मंत्री लखमा पूर्व जनपद अध्यक्ष मिडियम गंगा के अंतिम दर्शन को इतने तड़प क्यूँ रहे थे। मंत्री कवासी लखमा का परिवार 80 के दशक में रामाराम में रहता था तब वे रामाराम से तक़रीबन 15 किलोमीटर दूर सामसट्टी से लगे पहाड़ियों से बांस की कटाई करने सामसट्टी आते थे, तब से मिडियम गंगा राम से मंत्री कवासी लखमा का सम्बंध मज़बूत होता चला गया।
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इसके बाद मंत्री कवासी लखमा बैल का व्यापार करने लगे इस दौरान मिडियम गंगा राम और मंत्री लखमा दोनों साथ में ही बैलों का व्यापार भी करते थे मंत्री कवासी लखमा का मिडियम गंगा राम से किसी दोस्त की तरह नहीं बल्की एक सगे भाई के जैसा संबंध थे यही कारण है की उनके अंतिम दर्शन को रायपुर से लखमा सामसट्टी पहुँच गए। बोदागुड़ा हाइवे से सामसट्टी तक पाँच किलोमीटर का सफ़र बेहद ख़तरनाक है जहां बहते नाले से मंत्री लखमा के क़ाफ़िले की गाड़ियों को निकाला गया, तब जाकर मंत्री लखमा ने अपने अज़ीज़ मित्र के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन किए।
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