रायपुर। शासन जल्द ही राजधानी के सरकारी जमीनों से अवैध कब्जे हटाने की कार्रवाई करने वाली है।रायपुर नगर निगम में जुड़े सात गांवों में अरबों रुपए की शासकीय जमीन पर शहर के रसूखदारों ने कब्जा कर रखा है। आज तक प्रशासन ने इन जमीनों से कब्जा हटाने का प्रयास नहीं किया था लेकिन अब पहली बार जिला प्रशासन इसकी शुरुआत करने जा रहा है।
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कलेक्टर के निर्देश पर नगर निगम आयुक्त ने जोन वार टीमें बना कर शासकीय जमीन से कब्जा खाली करने की तैयारी कर ली। राजस्व विभाग से जानकारी मिलते ही कार्रवाई शुरू की जाएगी। राजधानी के चार अलग-अलग इलाकों कचना, खम्हारडीह, शंकरनंगर और देवपुरी इलाके सरकारी जमीन पर कब्जा है। खम्हारडीह में 10 अरब रुपए से ज्यादा कीमत साढ़े 12 एकड़ जमीन नगर निगम के वृक्षारोपण के लिए आरक्षित है। लेकिन आसपास के बिल्डर और रसूखदारों ने इस पर बाउंड्री वॉल तानकर कब्जा कर लिया है। जबकि यहां साढ़े 5 हेक्टेयर जमीन यानी लगभग 12 एकड़ जमीन के दो टुकड़ों में नगर निगम ने बाकायदा बोर्ड लगा रखा है पर कब्जा करने वालों को कोई फर्क नहीं पड़ता। इसी इलाके में आजादी के समय स्थापित किए गए जयस्तंभ चौक के अगल-बगल की सड़कों पर भी लोगों ने कब्जा कर मकान और लगभग 5-5 हजार फीट की बाउंड्री करवा रखी है । इसी तरह कचना इलाके से गुज़रने वाले शहर के सबसे बड़े नालों में एक छोकरा नाला की चौड़ाई को पटाकर मैरिज पैलेस बना दिया गया है।
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कचना के करीब 100 सौ पुराने चौकड़िया तालाब भी अवैध कब्जे के चलते गायब होने की कगार पर है । इस कब्जे में कई रसूखदार नेताओं के शामिल होने की बात भी कही जाती है । जिला प्रशासन ने इस तालाब से कब्जा खाली करने को अपना प्रथम टारगेट बनाया है । शासकीय जमीन में अवैध कब्जे का उदारहण एक और उदाहरण शंकर नगर इलाके में मिलता है। यहां छोटी लाइन की जगह नई बन रहे एक्सप्रेस-वे से लगी बॉटल हाउस के पास की खाली जमीन पर कब्जा कर बाउंड्री बना दी गई है। वहीं अवंति विहार ही खम्हारडीह चौक में रसूखदारों ने एक ओर की सड़क ही बंद करवा दी है। जिसके कारण यहां रोज घंटों जाम लगा रहता है । देवपुरी में भी गुरुद्वारे के पीछे की सड़क के पास लगभग 5 एकड़ की सरकारी जमीन बिल्डरों के विवाद में फंस गई है। जबकि लैंड डाक्यूमेंट में ये शासकीय और चारागान जमीन का बड़ा हिस्सा बताया गया है ।