फिर सुर्खियों में सिम्स, मोटी कमीशन पर मरीजों की सप्लाई

फिर सुर्खियों में सिम्स, मोटी कमीशन पर मरीजों की सप्लाई

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  • Publish Date - July 21, 2017 / 04:58 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:57 PM IST

 

बिलासपुर: अस्पताल के व्याकरण में एक शब्द है लामा, इसका फुल फार्म होता है लीविंग अगेंस्ट मेडिकल एडवाइज मतलब मरीज का अपने रिस्क पर इलाज अधूरा छोड़कर जाना। इस एक शब्द के सहारे बिलासपुर के सिम्स में कितना बड़ा घोटाला चल रहा है, ये सिर्फ इस बात से समझा जा सकता है कि करीब 600 बिस्तरों वाले इस अस्पताल से प्रतिदिन औसतन लामा होने वाले मरीजों की संख्या 40 है। सवाल ये है कि इलाज के लिए दाखिल ये मरीज आखिर सिम्स छोड़कर जाते कहां हैं। इसके जवाब में ही वो सनसनीखेज घोटाला छिपा है, जो सिम्स में सालों से चल रहा है।

 

मोटी कमीशन पर मरीजों की सप्लाई

सिम्स में भर्ती ये है शिवलाल और ये उनका पांच साल का पोता निमेश। अकलतरा के परसाई में रहने वाले दादा-पोता को सड़क हादसे में घायल होने के बाद सिम्स में भर्ती कराया गया था। मगर कुछ घंटे बाद सिम्स से लामा होकर वे एक निजी अस्पताल चले गए। दूसरे दिन जब वे फिर से सिम्स में भर्ती होने पहुंचे, तो सनसनीखेज रैकेट का खुलासा हुआ। उन्होंने खुलासा किया कि सिम्स के दो जूनियर डाक्टरों ने उन्हें सिम्स में सही इलाज नहीं होने की बात कहकर निजी अस्पताल भेजा था। लेकिन एक ही दिन में 10 हजार का बिल बनने के बाद वे वापस लौट आए।

निजी अस्पतालों को मरीज देने के बदले कमीशन पाने का खेल उजागर होने के बाद सिम्स प्रबंधन ने दोषी जूनियर डाक्टरों पर कार्रवाई की। साथ ही निजी अस्पताल का बिल डाक्टरों से लेने के साथ माफीनामा लिखवाया। प्रकरण के बाद अब CCTV से ऐसे मामलों की निगरानी रखी जा रही है। डाक्टरों पर तो कार्रवाई हो गई, लेकिन इस रैकेट में शामिल लोगों की सिम्स में इतनी गहरी पैठ है कि कमीशन पर मरीजों की सप्लाई का ये खेल जल्दी सिलसिलेवार और बड़ी कार्रवाई के बिना खत्म नहीं हो सकता।