मुंबई, दो दिसंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक वकील को एक लाख रुपये जमा करने का आदेश देते हुए कहा कि इसके बाद ही वह उनकी याचिका पर सुनवाई करेगा। याचिका में यह दलील दी गई है कि कोरोना वायरस के कारण प्रतिबंध लगाये जाने की जरूरत नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है और यह अदालत का समय बर्बाद करेगी।
याचिका के जरिए महामारी रोग अधिनियम को अमान्य करने की मांग की गई है।
अदालत ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता एवं अधिवक्ता हर्षल मिराशी चाहते हैं कि याचिका पर सुनवाई हो, तो उन्हें अदालत की रजिस्ट्री में इस हफ्ते के अंत तक एक लाख रुपये जमा करने होंगे। यदि यह राशि जमा नहीं की जाती है तो याचिका खारिज कर दी जाएगी।
याचिकाकर्ता ने महामारी रोग अधिनियम,1897 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है और इसे लागू किए जाने को रोकने तथा कोरोना वायरस माहामारी को लेकर लागू लॉकडाउन प्रतिबंध हटाने के लिए निर्देश देने की मांग की है।
याचिका के जरिए महाराष्ट्र सरकार को लॉकडाउन फिर से लागू करने से रोकने के लिए आदेश जारी करने की भी मांग की गई है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि कोराना वायरस साधारण फ्लू से ज्यादा कुछ नहीं है और कुछ तत्वों ने लोगों के मन में भय पैदा कर फायदा उठाने के लिए इसके मामलों की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है।
उन्होंने दलील दी है कि पृथक-वास मूल अधिकारों का हनन है, जो मनोवैज्ञानिक मुद्दे पैदा करता है।
उन्होंने यह दलील भी दी है कि उनकी याचिका पर सुनवाई की जानी चाहिए क्योंकि लॉकडाउन के चलते कई लोगों की नौकरी चली गई।
भाषा
सुभाष दिलीप
दिलीप