जुर्म करने की तैयारी मात्र से अपराध साबित नहीं होता : अदालत

जुर्म करने की तैयारी मात्र से अपराध साबित नहीं होता : अदालत

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  • Publish Date - June 13, 2021 / 01:51 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:02 PM IST

लखनऊ, 13 जून (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गोकशी निरोधक अधिनियम के तहत गिरफ्तार एक अभियुक्त को यह कहते हुए जमानत दे दी कि जुर्म करने की तैयारी मात्र से किसी अपराधी का होना साबित नहीं हो जाता।

न्यायमूर्ति अब्दुल मोइन की पीठ ने पिछली 17 मई को यह आदेश पारित करते हुए अभियुक्त सूरज को जमानत दे दी।

अदालत ने सीतापुर के पुलिस अधीक्षक को एक शपथ पत्र पर यह जवाब दाखिल करने को कहा है कि आखिर किन परिस्थितियों में अभियुक्त के खिलाफ गोकशी की तैयारियां करने मात्र पर गोकशी निरोधक अधिनियम 1955 की धारा 3/5/8 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। मामले की अगली सुनवाई 16 जून को होनी है।

अभियुक्त सूरज ने अपनी जमानत याचिका में दलील दी कि उसे तथा कुछ अन्य अभियुक्तों को 25 फरवरी को सीतापुर जिले के अटरिया क्षेत्र में गोकशी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था जबकि वह निर्दोष है।

सरकार के वकील ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सूरज तथा अन्य अभियुक्तों को गिरफ्तार करके उनके कब्जे से दो बैल, एक बंडल रस्सी, एक हथौड़ी, दो गड़ासे तथा पांच-पांच किलो भरण क्षमता वाले 12 खाली पैकेट बरामद किए गए थे। उस वक्त पुलिस को यह जानकारी मिली थी कि अभियुक्त उन बैलों का वध करने जा रहे हैं। अभियुक्तों के पास से बरामद सामग्री से जाहिर होता है कि वह ऐसा ही करने जा रहे थे।

पीठ ने मामले की सुनवाई के बाद कहा कि यह जाहिर नहीं हुआ है कि अभियुक्त ने गोकशी की है या ऐसा करने का प्रयास किया है, इसलिए गोवध निरोधक अधिनियम 1955 धारा 3/5/8 के तहत गौ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की गुंजाइश नहीं बनती।

इसके बाद अदालत ने अभियुक्त सूरज की जमानत याचिका मंजूर कर ली, लेकिन यह स्पष्ट किया कि यह मुकदमा अपने गुण-दोषों के आधार पर आगे बढ़ेगा।

भाषा सं सलीम अर्पणा

अर्पणा