रायपुर-– भू-अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने भुईयां परियोजना के तहत जनता को खसरा तथा बी-वन (खतौनी) जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध कराने का पक्का इंतजाम कर दिया है। आपको बता दें कि राज्य में लगभग बीस हजार गांव हैं जिनमें से राजस्व विभाग ने इनमें से 19 हजार 131 गांवों के नक्शे ऑनलाइन कर दिए गए हैं। इसी कड़ी में 19 हजार 460 गांवों के खसरा और बी-वन को भी कम्प्यूटरीकृत कर ऑनलाइन कर दिया गया है।
ये भी पढ़े – त्रिपुरा जीत पर रमन ने कहा ये राष्ट्रवादी ताकतों की जीत है.
इस बारे में राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने आज बताया कि कोई भी व्यक्ति कहीं से भी अपनी जमीन संबंधी इन दस्तावेजों को इंटरनेट के जरिए ऑनलाइन देख सकता है और वास्तविक समय पर भूमि की स्थिति का भी पता लगा सकता है। इतना ही नहीं, बल्कि लोगों को खसरा और बी-वन की डिजिटल हस्ताक्षरयुक्त प्रतिलिपि देने की योजना पर भी तेजी से काम हो रहा है। अब तक दो करोड़ 16 लाख 98 हजार 236 खसरों में से एक करोड़ 65 लाख 38 हजार 626 खसरों की डिजिटल हस्ताक्षरवाली प्रतिलिपियों को ऑनलाइन कर दिया गया है।
उन्होंने बताया – इस प्रकार लगभग 77 प्रतिशत खसरे ऑनलाइन उपलब्ध हैं। इसके साथ ही कुल 58 लाख 55 हजार 666 बी-वन (खातों) में से 38 लाख 86 हजार 858 अर्थात् करीब 67 प्रतिशत खातों (बी-वन) को भी कम्प्यूटरीकृत करते हुए ऑनलाइन कर दिया गया है। राजस्व मंत्री ने बताया कि विभाग ने इसके लिए ‘भुईंयां‘ और ‘भू-नक्शा’ नामक एप्प बनवाया है, जिन्हें लोग अपने एंड्रायड मोबाइल फोन पर डाउनलोड करने के बाद उसमें दी गई मार्गदर्शिका के अनुसार अपने वांछित अभिलेखों को देख सकते हैं और डाउनलोड कर सकते हैं। इंटरनेट सुविधा वाले कम्प्यूटर पर भी लोग इन अभिलेखों को देखकर डाउनलोड कर सकते हैं। श्री पाण्डेय ने बताया- शेष खसरा और बी-वन की डिजिटल हस्ताक्षरयुक्त प्रतिलिपि भी चालू मार्च महीने के अंत तक ऑनलाइन उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। आवेदन प्राप्त होने पर एक सप्ताह के भीतर आवेदक को उसके वांछित खसरा और बी-वन की प्रतिलिपि (नकल) उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।
ये भी पढ़े – मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने गृहनगर कवर्धा में मनाया रंग पर्व
श्री पाण्डेय ने बताया कि डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा आम जनता की सुविधा के लिए जमीन का सारा लेखा-जोखा कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है। भुईयां छत्तीसगढ़ सरकार की भू-अभिलेख कम्प्यूटरीकरण परियोजना है। इसके दो अंग-भुईयां और भू-नक्शा हैं। भुईयां जहां खसरा और खाता से संबंधित जानकारी का संकलन है, वहीं भू-नक्शा खसरा नक्शे से संबंधित है। नागरिकों को भुईयां के द्वारा इन दस्तावेजों को देखने की सुविधा दी जा रही है। सूचना प्रौद्योगिकी के इन तकनीकी संसाधनों से जहां लोगों को अपनी जमीन से संबंधित लेखा-जोखा आसानी से देखने की सुविधा मिल रही है। उन्हें अपनी जमीन का नकल निकलवाने के लिए पटवारियों के दफ्तरों तक आने-जाने में जो असुविधा होती थी अब वह नही होगी। लोग अपना खाता नंबर डालकर अपनी जमीन का सारा रिकार्ड ऑनलाइन देख सकते हैं।
केडेस्ट्रल नक्शे भी होंगे ऑनलाइन
श्री पाण्डेय ने बताया कि राजस्व विभाग द्वारा पटवारियों के केडेस्ट्रल नक्शे और उन्हें मौके पर मिलान से संबंधित समस्याओं को ध्यान में रखकर सभी केडेस्ट्रल नक्शों को भी ऑनलाइन करने का निर्णय लिया है। इसके लिए सर्वेक्षण किया जाएगा। सर्वेक्षण के लिए नये वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट में 74 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इस राशि से सभी केडेस्ट्रल नक्शों की जिओ-रेफ्रेंसिंग की जाएगी। इसके जरिए प्रत्येक भू-खण्ड के प्रत्येक कोने के अक्षांश और देशांश की जानकारी मिल सकेगी। फलस्वरूप भूमि सीमा से संबंधित विवादों में कमी आएगी और अगर किसी प्रकार का कोई विवाद उत्पन्न भी होता है। निर्विवाद रूप से उस भू-खण्ड की सीमाओं को आसानी से चिन्हांकित किया जा सके। किसी भूमि स्वामी को अपने भू-खण्ड का अक्षांश और देशांश मालूम होने पर वह अपनी जमीन की पहचान और उसकी मॉनिटरिंग गूगल मैप या अन्य किसी तकनीकी माध्यम से आसानी से कर सकेगा। इस कार्य के लिए सर्वे ऑफ इंडिया की मदद ली जाएगी। केडेस्ट्रल नक्शे सेटेलाइट इमेज के जरिए तैयार किए जाएंगे और उनकी जिओ-रेफ्रेंसिंग की जाएगी। नक्शे और मौके पर होने वाले अंतर को राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी और संबंधित भूमि-स्वामी की उपस्थिति में मौका मिलान कर दूर किया जा सकेगा।
वेब टीम IBC24