सुकमा। किसी ने सच कहा है कुछ कर गुज़रने की इच्छा अगर मन मे हो तो लाख मुसीबतें भी उसे उसके लक्ष्य तक पहुँचने रोक नही सकती ऐसा ही कुछ कर दिखाया है नक्सल प्रभावित सुकमा जिले की बेटी माया कश्यप ने पारिवारिक तंगी और बचपन मे ही पिता का साया सर से उठ जाने के बाद भी माया ने कभी हार नहीं मानी जिसके चलते माया की मेहनत आज रंग लाई है और अब उसका चयन अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज मे MBBS के लिए हुआ है।
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ज्ञात हो कि बचपन से डॉक्टर बनने की इच्छा मन मे पाले एक सरकारी स्कूल से अपनी पढ़ाई शुरू करने वाली दोरनापाल निवासी माया कश्यप ने आज वो मुकाम हासिल कर लिया है। जिसकी चर्चा पूरे नगर में होने लगी है। माया कश्यप दोरनापाल की पहली डॉक्टर बनने जा रही है। उसको एमबीबीएस में दाखिला मिल चुका है। जो आने वाले कुछ वर्षों में अपनी पढ़ाई पूरी कर के डॉक्टर बन जाएगी ये इसलिए भी बड़ी बात है क्योंकि जहां कभी खुद डॉक्टर भी आने को लेकर डरा करते थे।
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बता दें कि माया कक्षा 6वी में थी उसी समय उसके सर से पिता का साया उठ गया था। उसके बाद उसे ऐसे लगने लगा था कि अब आगे की पढ़ाई भी नही हो पाएगी आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो गई थी मगर दृण इच्छा शक्ति के कारण आज माया ने एमबीबीएस में सेलेक्ट होकर दाखिला पा लिया है जो अपनी आगे की पढ़ाई अम्बिकापुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज करेगी।
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बड़े भाई और भाभी ने उठाया आगे पढाई का खर्च- जब माया का चयन एमबीबीएस के लिए हुआ तो खुशी तो काफी हुई परिवार को मगर बात फीस को लेकर चिंता में बदल गई थी। क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत भी नही है। कि फीस दिया जा सके मात्र 12 हजार पेंशन से परिवार का गुजारा चलता है। फिर बड़े भाई अनूप कश्यप ने अपने किसी मित्र व भाभी रत्ना कश्यप ने तुरंत किसी करीबी से उधार लेकर माया का दाखिला करवाया गया।
महज पांच सौ रुपये में गुजारना पड़ता था एक महीना- माया से चर्चा के दौरान बताया कि माँ को मेरे अलावा दो और बड़ी बहन व एक छोटा भाई का भी पालन पोषण करना पड़ता था। उनकी भी पढाई चल रही थी तो मुझे मेरे खर्चे के लिए पांच सौ मिला करता था। जिसके साथ मुझे पूरा महीना चलाना पड़ता था । पढ़ाई के दौरान मुझे पैसों की काफी कमी रहती थी। लेकिन मेरा मुख्य लक्ष्य डॉक्टर बनना था। तो मैंने कई तकलीफों को ध्यान दिए बिना सिर्फ पढ़ाई में ध्यान केंद्रित किया और अपने सपनो को पूरा करने में जुटी हुई थी। आज मेडिकल कॉलेज में मेरा चयन होना जैसे मेरा सपना पूरा हुआ जैसे है। मैं चाहती हु की बचपन से इस क्षेत्र को देख रही हु अगर मैं भविष्य में डॉक्टर बन के आती हु। तो मुझे इसी क्षेत्र में सेवा का मौका मिले तो मुझे ज्यादा खुशी होगी।
वेब डेस्क IBC24