देखिए, बिलासपुर के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड और जनता का मूड मीटर
देखिए, बिलासपुर के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड और जनता का मूड मीटर
बिलासपुर। विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड में आज हम बात कर रहे हैं बिलासपुर की। छत्तीसगढ़ की न्यायधानी के नाम मशहूर बिलासपुर की सियासी इतिहास की बात करें तो स्वतंत्रता संग्राम के दौर से ही यहां की राजनीति बेहद जागरूक रही है। रायपुर में जहां उस दौर में पंडित रविशंकर शुक्ल ने आजादी की लड़ाई का परचम थामा था, तो यहां शिवदुलारे मिश्र, बैरिस्टर छेदी सिंह ठाकुर, राघवेंद्र राव, जमुनाप्रसाद वर्मा जैसे कई नेता अपने-अपने स्तर पर लोगों में राजनीतिक चेतना जगा रहे थे।
कालांतर में भी पहले सीपी एंड बरार और फिर मध्यप्रदेश के समय बिलासपुर का महत्व राजनीति में बढ़ता ही गया। कभी कांग्रेस का गढ़ रहा बिलासपुर अब भारतीय जनता पार्टी का मजबूत किला बन चुका है। और 1998 से यहां बीजेपी के अमर अग्रवाल विधायक हैं।
देश की आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव बिलासपुर में भी हुए, यहां के पहले विधायक बनने का श्रेय पंडित शिवदुलारे मिश्र को मिला। वे 1957 के चुनाव में भी दुबारा जीते, इसके बाद उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा और कांग्रेस से रामचरण राय विधायक हुए। बिलासपुर में कांग्रेस की इतनी जबरदस्त पकड़ थी, कि इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में जब पूरे देश में कांग्रेस को करारी हार मिली थी, तब भी बिलासपुर से कांग्रेस के बीआर यादव ने जीत दर्ज की थी।
1977 के बाद लगातार तीन बार बीआर यादव यहां से विधायक और मध्यप्रदेश के कद्दावर मंत्री रहे। उनके साथ ही जिले की दूसरी सीटों से राजेंद्र शुक्ला, चित्रकांत जायसवाल, बंशीलाल घृतलहरे, अशोक राव जैसे कांग्रेस के कई मंत्री-नेता यहीं से हुए। 1990 के चुनाव में पहली बार बीजेपी के मूलचंद अग्रवाल ने ये सीट कांग्रेस से छीन ली। लेकिन कांग्रेसी प्रभाव वाली इस सीट को वे 1993 में हुए चुनाव में बचा नहीं पाए और बीआर यादव यहां से चौथी बार विधायक चुन लिए गए।
1998 के चुनाव टर्निंग पाइंट साबित हुए, क्योंकि इसके बाद कांग्रेस का गढ़ ढहा और बीजेपी ने यहां अपना किला बना लिया। बीजेपी के अमर अग्रवाल ने 1998 में कांग्रेस के कृष्णकुमार यादव को, 2003 और 2008 में अनिल टाह को हराकर जीत की हैट्रिक लगाई।
पिछले चुनाव में अमर अग्रवाल ने कांग्रेस की वाणी राव जो यहां से मेयर भी थी को 15 हजार से अधिक मतों से हराया। इस तरह वे चौथी बार यहां से विधायक बने हैं। पांचवी बार भी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी वही होंगे।
कांग्रेस पिछले चार विधानसभा चुनावों से हार रही है। ऐसे में यहां सबसे ज्यादा घमासान कांग्रेस में ही मचा हुआ है। टिकट के लिए कई संभावित उम्मीदवार ताल ठोंक रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बीजेपी में अमर अग्रवाल का नाम तय माना जा रहा है। वहीं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने ब्रजेश साहू को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। जेसीसीजे के मैदान में उतरने से बिलासपुर में सियासी समीकरण दिलचस्प होने की पूरी संभावना है।
बिलासपुर के मुद्दे
मुद्दों की बात की जाए तो, बिलासपुर पर बेतरतीब शहर होने का ठप्पा लग गया है। और यही आगामी चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा भी बनने वाला है। कम से कम कांग्रेस तो ऐसा करने की पूरी कोशिश करेगी। इस समय शहर में 450 करोड़ रुपए की सीवरेज योजना के 8 साल से जारी होने के बावजूद अब तक अधूरी है। जल आवर्धन योजना का काम कई इलाकों में अधूरा है। नई बिलासपुर यूनिवर्सिटी के लिए अभी तक कोई ठिकाना ही तय नहीं किया जा सका है। वहीं बेतहाशा ट्रैफिक और रोजाना घंटों ट्रैफिक जाम की समस्या बिलासपुर की जनता के लिए आम बात हो गई है।
बिलासपुर को व्यवस्थित और स्मार्ट बनाने के लिए शहर में सीवरेज योजना शुरू हुई थी। इस वादे के साथ कि इसे 24 महीने या फिर 3 साल में पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन ये गणित पूरी तरह फेल रहा, और 8 साल बाद भी योजना अधूरी है। योजना के नाम पर पूरे शहर की सड़कें खोद दी गई। इससे सड़कें बदहाल तो हुई। लोगों का जीना भी मुहाल हो गया। फिलहाल इन्हें कुछ हद तक सुधारा गया है। लेकिन लोगों के मन में ये डर बना हुआ है कि चुनाव के बाद इन्हें फिर से खोद दिया जाएगा
ऐसा नहीं है कि 8 साल से अधूरी सीवरेज योजना ही बिलासपुर की जनता के लिए समस्या बनी हुई है। यहां राज्य का दूसरा बड़ा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल सिम्स मौजूद है। लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों के नहीं होने से मरीजों की जान पर खतरा मंडराता रहता है। करोड़ों की मशीनें, टेक्निशियन रख-रखाव के अभाव में बंद है।
स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा अरपा नदी की बदहाली भी यहां बड़ा चुनावी मुद्दा हो सकता है। अरपा के लिए पांच साल पहले मुख्यमंत्री रमन सिंह ने विशेष क्षेत्र प्राधिकरण का सेटअप स्वीकृत किया था, लेकिन इस साडा ने कोई काम नहीं किया। अरपा के लिए योजना सिर्फ कागजों पर है, वास्तविकता में इस नदी की हालत और खराब हो गई है। इसे लेकर सियासी पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने में जुट गई हैं।
वहीं दूसरी बुनियादी सुविधाओँ के लिए भी शहर की जनता तरस रही है। शहर के तालाबों के रखरखाव और सौंदर्यीकरण के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन तालाबों का भला नहीं हुआ है। वहीं बारिश के दौरान नालियों का पानी ओवरफ्लो होकर कई मोहल्ले, कॉलोनियों में भर जाता है। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि इन योजनाओं के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। हालांकि विधायकजी इससे इत्तेफाक नहीं रखते
भ्रम पैदा करके अपनी रोटियां सेंकना सियासत का पुराना रिवाज रहा है और बिलासपुर शहर में सीवरेज और दूसरी अधूरी योजनाओँ के मुद्दे पर नेताओं में एक दूसरे को दोषी ठहराने की होड़ सी लगी है। चुनाव के नजदीक जनता के सामने खुद को हितैषी और विरोधी को खलनायक साबित करने की पुरजोर कोशिश जारी है।
वेब डेस्क, IBC24

Facebook



