शेयर बाजारों में गिरावट के बीच इस साल छोटी कंपनियों का प्रदर्शन बड़ी कंपनियों से कमजोर रहा है। बीएसई स्मॉलकैप और मिडकैप में इस साल अबतक 13 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं सेंसेक्स की तुलना में इनका प्रदर्शन कहीं खराब रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छे समय में छोटी कंपनियों के शेयर बड़ी कंपनियों यानी लार्ज कैप की तुलना में ज्यादा चढ़ते हैं। ऐसे में मौजूदा खराब दौर में इनमें कहीं अधिक करेक्शन सामान्य बात है।
स्मात कैप सूचकांक में 12% की औसत गिरावट
छोटी कंपनियों के शेयरों ने 2021 में शानदार प्रदर्शन करते हुए निवेशकों को 63 प्रतिशत का प्रतिफल दिया था। भू-राजनीतिक तनाव, मुद्रास्फीति की चिंताओं और विदेशी कोषों की जबर्दस्त बिकवाली के बीच इस साल शेयर बाजारों को कई प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझना पड़ा है। विशेषज्ञों ने कहा कि इन चुनौतियों की वजह से घरेलू और वैश्विक बाजारों में बेचैनी है। बीएसई का स्मॉलकैप सूचकांक इस साल अबतक 3,816.95 अंक यानी 12.95 प्रतिशत और मिडकैप 2,314.51 अंक यानी 9.26 फीसदी टूट चुका है। इसकी तुलना में 30 शेयरों वाले सेंसेक्स में 3,771.98 अंक या 6.47 प्रतिशत की गिरावट आई है।
Read More: इतने दिनों तक बंद रहेंगी शराब और मांस की दुकानें, जिला कलेक्टर ने जारी किया निर्देश
स्माल कैप सूचकांक कही ऊपर चढ़े थे
इक्विटी मास्टर के सह-प्रमुख (शोध) राहुल शाह ने कहा, मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक अच्छे समय के दौरान सेंसेक्स की तुलना में कहीं अधिक चढ़े थे। इसलिए यह स्वाभाविक है कि वे बुरे समय में सेंसेक्स से अधिक गिरेंगे। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक मौजूदा दौर का सवाल है, बाजार अब महंगे नहीं हैं, लेकिन वे बहुत सस्ते भी नहीं हैं। शाह ने कहा, यह एक ऐसा बाजार है जहां गुणवत्ता और वृद्धि को इनाम मिलता है जबकि ऊंचे मूल्यांकन और खराब गुणवत्ता को खारिज कर दिया जाता है।
Read More: विधायकों से संपर्क टूटा तो बढ़ी कांग्रेस की टेंशन, मुकुल वासनिक को भेजा गोवा