IBC24 Swarna Sharda Scholarship 2025: मध्यमवर्गीय परिवार की बेटी महक ने पढ़ाई से बदल दी किस्मत, टॉपर बन बढ़ाया मान, IBC24 ने स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप देकर किया प्रोत्साहित
IBC24 Swarna Sharda Scholarship 2025: मध्यमवर्गीय परिवार की बेटी महक ने पढ़ाई से बदल दी किस्मत, टॉपर बन बढ़ाया मान, IBC24 ने स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप देकर किया प्रोत्साहित
भोपाल। यदि एक आदमी शिक्षित होता है तो केवल एक व्यक्ति शिक्षित होता है, लेकिन जब एक बेटी शिक्षित होती है तो पूरी पीढ़ी शिक्षित होती है। कुछ इन्हीं भावों और विचारों के साथ मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का नंबर वन न्यूज चैनल IBC24 हर वर्ष बोर्ड परीक्षा में उत्कृष्ठ अंक अर्जित करने वाली बेटियों को स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप प्रदान करता है। स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप केवल एक स्कॉलरशिप ही नहीं हैं, बल्कि यह उन बेटियों के भविष्य के लिए अंशदान है, जो समाज और अन्य छात्रों के लिए प्रेरणा बने हैं। इस बार भी मध्यप्रदेश की 12वीं की बोर्ड परीक्षा में स्टेट टॉपर बेटी को 1 लाख रुपए, उनके स्कूल को 1 लाख रुपए और जिले में प्रथम आने वाली बेटियों को 50-50 हजार रुपए प्रदान किया गया। सम्मान पाने वालों में अनूपपुर जिले की महक शिवहरे भी शामिल है।
अनूपपुर जिले की प्रतिभाशाली छात्रा महक शिवहरे ने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कक्षा 12वीं में अध्ययन करते हुए छात्राओं में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपने विद्यालय, परिवार और जिले का नाम रोशन किया है। महक एक मध्यमवर्गीय परिवार से है। उनके पिता शुभम शिवहरे घर से ही कपड़े का व्यवसाय करते हैं और परिवार की जिम्मेदारियां निभाते हैं। कठिन परिस्थितियों के बावजूद महक ने मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया है। वह आगे चलकर एमबीबीएस डॉक्टर बनना चाहती हैं और इसी लक्ष्य को लेकर कोचिंग कर रही हैं। महक की सफलता यह साबित करती है कि मजबूत इरादे, परिवार का सहयोग और खुद की मेहनत से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है। आज वह जिले की बेटियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गई है।
2015 से दी जा रही है यह स्कॉलरशिप
बता दें कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का नंबर वन न्यूज चैनल 2015 से ही यह स्कॉलरशिप प्रदान कर रहा है। IBC24 अपने स्थापना के समय से ही बेटियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत रहा है। स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप हमारे इस मुहिम की एक बानगी है। इसके जरिए हम बेटियों को उड़ान भरने के लिए आसमान देते हैं, जिससे वह समाज बीच बेटियों के लिए पनपी गलत धारणाओं को दूर कर सकें।

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