ISRO का नया कमाल! सीधे अंतरिक्ष से कनेक्ट होगा स्मार्टफोन, सैटेलाइट ब्लॉक-2 ब्लूबर्ड से हैरान दुनिया

ISRO will launch Satellite Block-2 Bluebird: दरअसल भारत, अमेरिका के साथ मिलकर एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। अभी हाल ही में 30 जुलाई को दुनिया का सबसे महंगा अर्थ ऑब्जर्वेशन मिशन निसार (NISAR) लॉन्च किया गया था। अब भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) अमेरिका का 6,500 किलोग्राम वजनी कम्युनिकेशन सैटेलाइट ब्लॉक-2 ब्लूबर्ड (Block-2 BlueBird) लॉन्च करेगा।

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  • Publish Date - August 11, 2025 / 05:09 PM IST,
    Updated On - August 11, 2025 / 05:10 PM IST

ISRO will launch Satellite Block-2 Bluebird, image source: ANI

HIGHLIGHTS
  • जानें क्या करेगा यह सैटेलाइट?
  • आज अंतरिक्ष का शहंशाह है इसरो
  • स्मार्टफोन को सीधे मिलेगी ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी

नईदिल्ली: ISRO will launch Satellite Block-2 Bluebird भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) एक और बड़े मिशन के लिए तैयारी कर ली है। ISRO अगले महीने यानि सितंबर में अमेरिकी सैटेलाइट ब्लॉक-2 ब्लूबर्ड (Block-2 BlueBird) को अपने सबसे भारी रॉकेट LVM-3-M5 के जरिए अंतरिक्ष में भेजने जा रहा है। इस अत्याधुनिक सैटेलाइट की खासियत यह है कि यह अंतरिक्ष से ही स्मार्टफोन को सीधे ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी देकर जोड़ देगा।

दरअसल भारत, अमेरिका के साथ मिलकर एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। अभी हाल ही में 30 जुलाई को दुनिया का सबसे महंगा अर्थ ऑब्जर्वेशन मिशन निसार (NISAR) लॉन्च किया गया था। अब भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) अमेरिका का 6,500 किलोग्राम वजनी कम्युनिकेशन सैटेलाइट ब्लॉक-2 ब्लूबर्ड (Block-2 BlueBird) लॉन्च करेगा। इसरो के चेयरमैन वी. नारायणन ने रविवार को यह जानकारी दी है। इसरो चीफ ने बताया कि यह अमेरिकी सैटेलाइट सितंबर में भारत पहुंचेगा और श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से इसरो के सबसे भारी रॉकेट एलवीएम-3-एम5 (LVM-3-M5) के जरिये अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

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जानें क्या करेगा यह सैटेलाइट?

ISRO will launch Satellite Block-2 Bluebird, आपको बता दें कि ब्लॉक-2 ब्लूबर्ड में 64.38 वर्ग मीटर का कम्युनिकेशन एरे लगा है, जो सीधे मोबाइल फोन्स से कनेक्टिविटी स्थापित कर सकता है। यह सैटेलाइट 3GPP-स्टैंडर्ड फ्रीक्वेंसी पर काम करेगा और दुनिया के प्रमुख टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ मिलकर 3G, 4G और 5G नेटवर्क पर वॉइस, डेटा और वीडियो सेवाएं उपलब्ध कराएगा।

ब्लूबर्ड सैटेलाइट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सीधे स्मार्टफोन में ब्रॉडबैंड इंटरनेट पहुंचाएगा, इसके लिए किसी विशेष टर्मिनल की जरूरत नहीं होगी। इसमें लगे बड़े कम्युनिकेशन एरे (करीब 2,400 वर्ग फीट) की मदद से यह 12 Mbps तक की डेटा ट्रांसमिशन स्पीड देगा।

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आज अंतरिक्ष का शहंशाह है इसरो

बता दें कि इसरो चीफ को चेन्नई से सटे कट्टनकुलथुर स्थित एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के दीक्षांत समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने मानद ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ की उपाधि दी।

इस मौके पर नारायणन ने बताया कि इसरो की स्थापना 1963 में हुई थी और उस समय अमेरिका ने भारत को एक छोटा रॉकेट दान में दिया था, जिससे भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत हुई। उन्होंने बताया, ‘1975 में अमेरिका से मिली सैटेलाइट डेटा की मदद से इसरो ने छह राज्यों के 2,400 गांवों में 2,400 टीवी सेट लगाए थे।

नारायण ने बताया कि, ‘उस साधारण शुरुआत से 30 जुलाई 2025 एक ऐतिहासिक दिन बन गया, जब हमने दुनिया का सबसे महंगा सैटेलाइट निसार लॉन्च किया। आज भारत अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में विकसित देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है।

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ब्लॉक-2 ब्लूबर्ड सैटेलाइट क्या है और इसकी खासियत क्या है?

यह एक अमेरिकी कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, जिसका वजन लगभग 6,500 किलोग्राम है। इसमें 64.38 वर्ग मीटर का कम्युनिकेशन एरे है, जो सीधे स्मार्टफोन को बिना किसी विशेष टर्मिनल के ब्रॉडबैंड इंटरनेट और कॉल सेवाएं उपलब्ध कराएगा।

यह सैटेलाइट कब और कहां से लॉन्च होगा?

सितंबर 2025 में, श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट (आंध्र प्रदेश) से ISRO के सबसे भारी रॉकेट LVM-3-M5 के जरिए इसे अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

यह सैटेलाइट इंटरनेट और कॉलिंग कैसे देगा?

यह 3GPP-स्टैंडर्ड फ्रीक्वेंसी पर काम करेगा और सीधे मोबाइल नेटवर्क (3G, 4G, 5G) से जुड़कर वॉइस, डेटा और वीडियो सेवाएं देगा। इसकी डेटा स्पीड 12 Mbps तक होगी।

इस लॉन्च में अमेरिका की क्या भूमिका है?

ब्लॉक-2 ब्लूबर्ड एक अमेरिकी सैटेलाइट है, जिसे भारत और अमेरिका मिलकर लॉन्च कर रहे हैं। यह निसार (NISAR) मिशन के बाद दोनों देशों का एक और बड़ा सहयोग है।

यह तकनीक आम लोगों के लिए कैसे फायदेमंद होगी?

दूर-दराज और नेटवर्क से वंचित क्षेत्रों में भी मोबाइल इंटरनेट और कॉलिंग संभव हो सकेगी। पर्वतीय इलाकों, समुद्री क्षेत्रों और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में यह तकनीक जीवनरेखा साबित होगी।

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