लखनऊ, 19 नवंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने पांच महीने की बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति की फांसी की सजा को बुधवार को उम्रकैद में बदल दिया।
हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि दोषी को पूरी उम्र जेल में रहना होगा और उसे कोई रियायत नहीं दी जाएगी।
न्यायमूर्ति राजनीश कुमार और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की पीठ ने सत्र न्यायालय द्वारा भेजे गए संदर्भ पर विचार करने के बाद यह निर्णय लिया। सत्र न्यायालय के संदर्भ में फांसी की सजा की पुष्टि के लिए कहा गया था।
अपने फैसले में, न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत का दोषी को सजा देना बिल्कुल सही था।
हालांकि, अदालत ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलते हुए कहा कि दोषी का अपराध का कोई पुराना रिकॉर्ड नहीं है, और उसका 3-4 साल का बच्चा भी है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि आरोपी ने यह अपराध किसी पूर्व-नियोजित योजना के तहत किया था।
घटना 16 फरवरी 2020 को मडियाओं पुलिस थाना क्षेत्र में हुई थी। बच्ची के माता-पिता एक रिश्तेदार के विवाह समारोह में एसआर मैरिज लॉन गए थे, जहां आरोपी प्रेमचंद उर्फ पप्पू दीक्षित भी उपस्थित था।
आरोपी ने किसी बहाने बच्ची को उसकी मां की गोद से ले लिया और फिर वहां से चला गया। जब वह काफी समय बाद भी नहीं लौटा, तो परिवार ने बच्ची की तलाश शुरू की।
काफी तलाश करने के बाद, बच्ची शादी के लॉन से कुछ दूरी पर झाड़ियों मिली। उसे तुरंत केजीएमयू अस्पताल ले जाया गया, लेकिन चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
आरोपी की शर्ट का बटन और उसके तीन बाल घटनास्थल से मिले थे।
सत्र न्यायालय ने 30 सितंबर 2021 को आरोपी को फांसी की सजा सुनाई थी। भाषा सं सलीम जोहेब
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